खुली हवा में डोले रे-चम्पाकली १९५७
दिया। राजेंद्र कृष्ण के मधुर गीतों को लता और रफ़ी ने बड़ी
तन्मयता के साथ गाया भी। सॉफ्ट किस्म के गीत हैं फिल्म के।
सॉफ्ट गीतों की विशेषता ये होती है उन्हें आप जब चाहे बिना
ना नुकुर, मूड हो ना हो सुन कर जी बहला सकते हैं। आपको पहले
इसी फिल्म से हमने दो गीत सुनवाये हैं-छुप गया कोई रे और
ओ गवालन क्यूँ मेरा मन। गीत में नायिका कुछ विशेष व्यायाम
कर रही है और वो क्या है मुझे समझ नहीं आ रहा है। कृपया
बतलाएं धागे में पत्थर बांध के ऐसा क्या किया जाता है जिससे
बेचारे पक्षी नीचे गिरने लगते हैं।
गीत के बोल:
खुली हवा में डोले रे आज मेरा मन बोले रे
दिल की बहार ले के आएगा साँवरिया
खुली हवा में डोले रे आज मेरा मन बोले रे
दिल की बहार ले के आएगा साँवरिया
बदरिया जो छाई संदेसा ऐसा लाई
कि सुन-सुन मैं तो शरमाई घबराई
बदरिया जो छाई संदेसा ऐसा लाई
कि सुन-सुन मैं तो शरमाई घबराई
किसी ने चोरी-चोरी मेरे घूँघट के पट खोले रे
लाज की मारी मैं तो हुई रे बावरिया
खुली हवा में डोले रे आज मेरा मन बोले रे
दिल की बहार ले के आएगा साँवरिया
मैं अँखियाँ झुकाऊँ या मुखड़ा छुपाऊँ
समझ नहीं आए हाय कित जाऊँ
मैं अँखियाँ झुकाऊँ या मुखड़ा छुपाऊँ
समझ नहीं आए हाय कित जाऊँ
आज किसी ने मुझे पुकारा प्यार से हौले-हौले रे
झुक झुक जाये हाय मेरी नजरिया
खुली हवा में डोले रे आज मेरा मन बोले रे
दिल की बहार ले के आएगा साँवरिया
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Khuli hawa mein dole re-Champakali 1957
Artists: Bharat Bhushan, Suchitra Sen
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