नई ज़िन्दगी से प्यार कर के देख-शिकस्त १९५३
क से क्लासिक। सबकी क्लासिक की अपनी अपनी परिभाषा होती
है। आइये एक क्लासिक गीत देखें और सुनें। इसके क्लासिक होने का
सबसे पहला कारण ये है कि ये शैलेन्द्र का लिखा हुआ गीत है और
प्रेरणादाई गीत है। संगीतमय फिल्म शिकस्त से ये गीत लिया
गया है। ब्लॉग पर ये शिकस्त फिल्म का तीसरा गीत है। पिछले
दो गीत तलत महमूद की आवाज़ में हैं, इसमें रफ़ी की आवाज़ है।
गीत के बोल:
हो ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
हो ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
नई ज़िन्दगी से प्यार कर के देख
इसके रूप का सिंगार कर के देख
इसपे जो भी है निसार कर के देख
नई ज़िन्दगी से प्यार कर के देख
नई ज़िन्दगी से प्यार कर के देख
इसके रूप का सिंगार कर के देख
इसपे जो भी है निसार कर के देख
नई ज़िन्दगी से प्यार कर के देख
सच कभी तो होंगे ख़्वाब और ख़याल, तेरे ख़्वाब और ख़याल
हो तेरे ख़्वाब और ख़याल
कब तलक रहेंगे बेक़सी के जाल, दिल पे बेक़सी के जाल
हो दिल पे बेक़सी के जाल
वक़्त सुन चुका है तेरे दिल का हाल तेरे दिल का हाल
वक़्त सुन चुका है तेरे दिल का हाल तेरे दिल का हाल
और चार दिन गुज़ार कर के देख
नई ज़िन्दगी से प्यार कर के देख
इसपे जो भी है निसार कर के देख
नई ज़िन्दगी से प्यार कर के देख
दिल के तार छू के गा रहा है कौन गीत गा रहा है कौन
हो गीत गा रहा है कौन
ले के ये बहारें आ रहा है कौन मुस्कुरा रहा है कौन
हो मुस्कुरा रहा है कौन
तन पे और मन पे छा रहा है कौन छा रहा है कौन
तन पे और मन पे छा रहा है कौन छा रहा है कौन
अपना दिल किसी पे हार कर के देख
नई ज़िन्दगी से प्यार कर के देख
इसपे जो भी है निसार कर के देख
नई ज़िन्दगी से प्यार कर के देख
इसके रूप का सिंगार कर के देख
इसपे जो भी है निसार कर के देख
नई ज़िन्दगी से प्यार कर के देख
हो ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
हो ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
नई ज़िन्दगी से प्यार कर के देख
इसके रूप का सिंगार कर के देख
इसपे जो भी है निसार कर के देख
नई ज़िन्दगी से प्यार कर के देख
नई ज़िन्दगी से प्यार कर के देख
इसके रूप का सिंगार कर के देख
इसपे जो भी है निसार कर के देख
नई ज़िन्दगी से प्यार कर के देख
नींद से धरती को जो जगायेगा ज़मीं को जो जगायेगा
ज़मीं को जो जगायेगा
बीज आँसुओं के जो बिछायेगा जो मेहनतें लुटायेगा
जो मेहनतें लुटायेगा
फूल उसके आँगन में मुस्कुरायेगा मुस्कुरायेगा
फूल उसके आँगन में मुस्कुरायेगा मुस्कुरायेगा
और चार दिन गुज़ार कर के देख
नई ज़िन्दगी से प्यार कर के देख
इसपे जो भी है निसार कर के देख
नई ज़िन्दगी से प्यार कर के देख
गा रही है धरती गीत प्यार के सुहाने गीत प्यार के
सुहाने गीत प्यार के
दिन गुज़र चुके हैं इंतज़ार के हो तेरे इंतज़ार के
हो तेरे इंतज़ार के
चुप न रह पपीहे ये मन को मार के मन को मार के
चुप न रह पपीहे मन को मार के मन को मार के
आयेंगे पिया पुकार कर के देख
नई ज़िन्दगी से प्यार कर के देख
आयेंगे पिया पुकार कर के देख
नई ज़िन्दगी से प्यार कर के देख
इसके रूप का सिंगार कर के देख
इसपे जो भी है निसार कर के देख
नई ज़िन्दगी से प्यार कर के देख
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Nayi zindai se pyar kar ke dekh-Shikast 1953
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