Jun 8, 2011

ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई-मर्यादा १९७१

चली आई, कौन ? वही भूली दास्तान ख्यालों में फिर से। फिर वो
भूली सी याद आई है, आई ज़रूर है मगर मुकेश के गीत की शक्ल
में।

आज मुकेश का एक अमर गीत सुना-वक़्त करता जो वफ़ा तो दिल
भारी सा हो आया और इसी गफलत और सिलसिले में एक और दर्द
भरा गीत याद आया ।

आइये सुनें राजेश खन्ना के ऊपर फिल्माया गया मुकेश का गाया
खूबसूरत गीत जो फिल्म मर्यादा(१९७१) से लिया गया है। मुकेश
के इस लोकप्रिय गीत के बोल लिखे हैं आनंद बक्षी ने और धुन
बनाई है कल्याणजी आनंदजी ने।



गीत के बोल:

ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई
ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई
बहार आने से पहले खिजां चली आई
ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई

ख़ुशी की चाह में मैं ने उठाये रंज बड़े
ख़ुशी की चाह में मैं ने उठाये रंज बड़े
मेरा नसीब की मेरे क़दम जहाँ भी पड़े
ये बदनसीबी मेरी भी वहाँ चली आई

ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई

उदास रात है वीरान दिल की महफ़िल है
उदास रात है वीरान दिल की महफ़िल है
न हमसफ़र है कोई और न कोई मंज़िल है
ये ज़िंदगी मुझे लेकर कहाँ चली आई

ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई
बहार आने से पहले खिजान चली आई
ज़ुबाँ पे दर्द भरी दास्ताँ चली आई
...............................
Zuban pe dard bhari dastaan-Maryada 1971

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP