साथ साथ तुम चलो-सितारा १९८०
फिल्म अभिमान में नारी के सितारा बनने का जिक्र है तो एक
और ऐसी फिल्म है जिसमें ग्रामीण परिवेश में पली बड़ी नायिका
फिल्म जगत की एक हस्ती बन जाती है। इस थीम पर पहले एक
फिल्म हम देख चुके हैं-मेरे हमसफ़र। फिल्म सितारा बॉक्स ऑफिस
पर कोई कमाल नहीं दिखा पाई ना ही इसके संगीत ने कोई अलख
जगाया । फिर भी, इस फिल्म में कुछ यादगार गीत हैं। फिल्म का
सबसे अलोकप्रिय गीत आपको सुनवाते हैं जो भूपेंद्र और आशा भोंसले
की आवाज़ में है। संगीत राहुल देव बर्मन का है। गीत फिल्माया गया
है ज़रीना वहाब और मिथुन पर। फिल्म एक आध बार आपको टी वी के
चैनल पर दिखाई दी होगी। मिथुन के चरित्र का नाम कुंदन और ज़रीना
के चरित्र का नाम धनिया है। वो धनिया से सरिता बन जाती है फिल्म
जगत में। गुल्ज़ाराना गीत बहुत दिनों के बाद प्रस्तुत कर रहा हूँ
ब्लॉग पर।
गीत के बोल:
साथ साथ तुम चलो तो रात रात भर चलें
हो, साथ साथ तुम चलो तो रात रात चलें
रात साथ कल सुबह एक सुबह के घर चलें
साथ साथ तुम चलो तो रात रात भर चलें
हो, साथ साथ तुम चलो तो रात रात चलें
रात साथ कल सुबह एक सुबह के घर चलें
साथ साथ तुम चलो तो रात रात भर चलें
सुबह से कह्नेगे जा के
अपना घर संभालिये
रात को जो सपने
दे गये थे वो निकालिए
हो, आपको खबर ना हो
सपने बेखबर चले
साथ साथ तुम चलो तो रात रात भर चलें
ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला
रोज़ चढ़ के आस्मां पे
आ हा हा
चाँद जब लगायेंगे
लौ बुझाने का भी समय
ओ हो
हम उसे बताएँगे
फूँक से बुझा के चाँद
चाँद के उधर चलें
उधर चलें, उधर चलें
साथ साथ तुम चलो तो रात रात भर चलें
ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला ला
हो हो, हो हो
तेज़ है हवा कहीं
वक़्त ना उड़े आज का, हो
हो, चाँद से पकड़ के रखना
आ हा हा
हो ना वो एक रात का
रात ओढ़ के चलो,
रात के उधर चलें
उधर चलें, उधर चलें
उधर चलें, उधर चलें
साथ साथ तुम चलो तो रात रात भर चलें
साथ साथ तुम चलो तो रात रात भर चलें
रात साथ कल सुबह एक सुबह के घर चलें
रात साथ कल सुबह एक सुबह के घर चलें
हो, रात साथ कल सुबह एक सुबह के घर चलें
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Saath saath tum chalo-Sitara 1980
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