Jul 29, 2011

कोई जब तुम्हारा ह्रदय तोड़ दे –पूरब और पश्चिम १९७०

पुरुष वर्ग के समर्पण की इन्तेहा, कुछ अतिशयोक्ति सा लगता
ये गीत अपवाद स्वरुप समाज में आपको कहानी रूप में कहीं न
कहीं ज़रूर मिल जायेगा. ऐसा नहीं है कि केवल नारी ही इंतज़ार
करती है, कहीं पुरुष भी प्रतीक्षा कर लिया करता है. फिल्म में
नायिका का चरित्र विलायत में रहने वाली पाश्चात्य सभ्यता में पली
बढ़ी युवती का है. नायक देसी परम्पराओं को निभाने वाला एक
“सादा जीवन उच्च विचार” के साथ देशप्रेम की भावना से ओत
प्रोत युवक है. अब इतने विवरण से आपको नायक को पहचानने
में दिक्कत नहीं होना चाहिए.

जैसा कि हिंदी फिल्मों की कहानी की अनिवार्य मांग है-नायक
को नायिका से प्रेम हो जाता है. अब नायिका को अपने रंग ढंग
में ढालने के लिए और उसे वापस देसी संस्कृति की ओर लाने
के प्रयास में नायक ये गीत गाता है.

गीत इन्दीवर का लिखा हुआ है और निस्संदेह इसे उनके द्वारा
रहित गीतों में से सर्वाधिक लोकप्रिय का दर्ज़ा भी प्राप्त है. गीत
कि गुणवत्ता पर प्रश्न चिन्ह नहीं लगाया जा सकता. नपा तुला सा
है ये और उतनी ही नपी तुली धुन बनायीं है कल्याणजी आनंदजी
ने जिसे स्वर मुकेश ने दिया है.






गीत के बोल:

कोई जब तुम्हारा ह्रदय तोड़ दे –पूरब और पश्चिम १९७०
तडपता हुआ जब कोई छोड़ दे
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
मेरा दर खुला है खुला ही रहेगा तुम्हारे लिए

अभी तुमको मेरी ज़रूरत नहीं
बहुत चाहने वाले मिल जायेंगे
अभी रूप का एक सागर हो तुम
कमल जितने चाहोगी खिल जायेंगे
दर्पण तुम्हें जब डराने लगे
जवानी भी दामन छुड़ाने लगे
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
मेरा सर झुका है झुका ही रहेगा तुम्हारे लिए

कोई जब तुम्हारा ह्रदय तोड़ दे

कोई शर्त होती नहीं प्यार में
मगर प्यार शर्तों पे तुमने किया
नज़र में सितारे जो चमके ज़रा
बुझाने लगीं आरती का दिया
जब अपनी नज़र में ही गिरने लगो
अंधेरों में अपने ही घिरने लगो
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
ये दीपक जला है जला ही रहेगा तुम्हारे लिए

कोई जब तुम्हारा ह्रदय तोड़ दे
तडपता हुआ जब कोई छोड़ दे
तब तुम मेरे पास आना प्रिये
मेरा दर खुला है खुला ही रहेगा तुम्हारे लिए
...................................
Koi jab tumhara hriday tod de-Purab aur paschim 1970

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP