आप अगर आप न होते-गृह प्रवेश १९७९
नायिका नंबर दो का घर में प्रवेश हो चुका है। ये है फिल्म गृह प्रवेश
से दूसरा गीत। गीत में संजीव कुमार और सारिका अपने अपने भावों
का अनुसार प्रदर्शन कर रहे हैं। कुछ रोमांस कुछ रोमांच वाला ये गीत
कर्णप्रिय है। गुलज़ार के बोल, सुलक्षणा पंडित की आवाज़ और कनु रॉय
का संगीत है। आनंद लीजिए।
उल्लेखनीय है कि कनु रॉय ने एक और लीक से हट के बनी फिल्म
आविष्कार में भी संगीत दिया है।
गीत के बोल:
आप अगर आप न होते तो भला क्या होते
लोग कहते हैं कि पत्थर के मसीहा होते
संगेमरमर के तराशे हुए चेहरे पे अगर
आ आ आ आ आ आ आ
संगेमरमर के तराशे हुए चेहरे पे अगर
आपके हँसने का अंदाज़ यही होता मगर
वो जो शरमा के झुका लेते हैं आप नज़र
ऐसे शरमाने पे हम कैसे न फ़िदा होते
आप अगर आप न होते तो भला क्या होते
लोग कहते हैं कि पत्थर के मसीहा होते
आपके माथे पे बसती है जवां शाम सहर
आपके माथे पे बसती है जवां शाम सहर
अच्छी लगती है हमें आपकी पेशानी मगर
वो जो माथे पे पसीना उभर आती है मगर
ऐसे माथे पे भला क्यों न लोग फ़िदा होते
आप अगर आप न होते तो भला क्या होते
लोग कहते हैं कि पत्थर के मसीहा होते
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Aap agar aaap na hote-Griha Pravesh 1979
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