सैयां के गांव में-सज्जो रानी १९७६
हो मगर इसके गाने खूब सुने गए हैं कसम से. एक तो
आज भी कभी कभार कोई पागल बजा ही देता है रेडुआ
पर.
ये है आशा भोंसले का गाया हुआ सास-ससुर, देवर, ननद
के उल्लेख वाला गीत. इसे लिखा है जान निसार अख्तर
ने और सपन जगमोहन ने धुन तैयार की है.
रेहाना सुल्तान एक भावप्रवण अभिनेत्री थीं. इस बात को
शायद उस समय के निर्देशकों ने नहीं समझा.
गीत के बोल:
सैयां के गांव में तारों की छांव में
सैयां के गांव में तारों की छांव में
बन के दुल्हनिया जाऊंगी
पहने पायलिया गोटे की अंगिया
उसपे भी शरमाऊंगी
सैयां के गांव में तारों की छांव में
बन के दुल्हनिया जाऊंगी
सासू खड़ी घडी घडी मोरा घूंघटा उठाये
ले के मोहे दिया भरे कहाँ बलिहारी जाये
बोले ससुर बड़ी सड़ी बहू हम चुन के लाये
हो के मगन न जी खुशी खुशी मोती लुटावे
कहवे ननदिया भाभी को भैया
मैं तो चुरा ले जाऊंगी
सैयां के गांव में तारों की छांव में
बन के दुल्हनिया जाऊंगी
मोरे भारी रेशम के जोड़े
पल पल छनके चांदी के तोड़े
बाला देवरा पीछा ना छोड़े
अचरा खेंचे बैयाँ मरोड़े
कहवे जेठानी मैं तो रानी
सोने के झुमके लाऊंगी
सैयां के गांव में तारों की छांव में
बन के दुल्हनिया जाऊंगी
लाई मोरे पिया तोरे लिए बाला जोबन रे
काली लटें मोरी भरा भरा गोरा बदन रे
गरवा लगा लगा मोरा पिया भर दीजो मन रे
प्यासी न मैं रहूँ कसम तोहे मोरे सजन रे
जितना सतावे जितना थकावे
उतनी मैं वारी जाऊंगी
सैयां के गांव में तारों की छांव में
बन के दुल्हनिया जाऊंगी
उसपे भी शरमाऊंगी
सैयां के गांव में तारों की छांव में
बन के दुल्हनिया जाऊंगी
……………………………………………….
Saiyan ke gaon mein-Sajjo Rani 1976
Artist: Rehana Sultana
0 comments:
Post a Comment