जहाँ प्रेम का पावन- दुल्हन वही जो पिया मन भाये १९७७
था कुछ साल पहले. फिल्म मेंआधुनिक पोता घरेलू लड़की को नकली
बहू बनाले आता है उसके बाद सिलसिला शुरू होता है घरके सदस्यों के
मोहित होने का. इसी कड़ी में फिल्ममें एक भजन है जिसे हेमलता ने
गाया है औररामेश्वरी पर फिल्माया गया है.
आइये सुनते हैं एक कर्णप्रिय गीत जिसके बोल औरसंगीत दोनों ही
रवींद्र जैन के है. पुरानी धार्मिकफिल्मों के संगीतकार एस एन त्रिपाठी
की कमी कोरवींद्र जैन ने काफी हद तक पूरा कर दिया है. उन्होंने भक्ति
संगीत में काफी योगदान दिया है.
गीत के बोल:
जहाँ प्रेम का पावन दियारा जले
जहाँ बोले वचन तब नीर भरे
उसी अंगना में उसी द्वारे पे
बीते हमारा भी जीवन राम करे
जहाँ प्रेम का पावन दियारा जले
कौन नदी की हम हैं लहर
कहो आ के मिला रे किनारा
जोग लिखे बिन हम नाहीं ऐसा मिलन हमारा
किन चरणों में न घर न पड़े
जहाँ प्रेम का पावन दियारा जले
जिस दिन नाही अपना कोई जो कह दे उसे अपना ले
उस की करुना उस की दया का उतरे न मर्ज़ उतारे
जिया जहाँ है वहीं जी मरें
जहाँ प्रेम का पवन दियारा जले
जहाँ बोले वचन तब नीर भरे
उसी अंगना में उसी द्वारे पे
बीते हमारा भी जीवन राम करे
जहाँ प्रेम का पावन दियारा जले
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Jahan prem ka-Dulhan wahi jo piya man bhaye 1977
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