भरी बरसात में दिल जलाया-ओ बेवफा १९८०
न मिले हर व्यक्ति को अपना काम करते रहना ज़रूरी है, चाहे इसे आप -नेकी
कर कुँए में डालना बोलें या खुले दिमाग वाली सोच, सहयोग और सौजन्य
सफलता की कुंजियाँ हैं.
मैं इस ब्लॉग के मित्र मंडल से पूछना चाहूँगा कि वो इस ब्लॉग पर किस तरह
की प्रस्तुतियाँ चाहता है. आपके जवाब मेरे लिए महत्त्वपूर्ण हैं. आप अपना
कीमती समय देते हैं इसे पढ़ने में. गुणवत्ता सुधार जीवन का आवश्यक तत्त्व
है. आशा है आप मुझे निराश नहीं करेंगे.
आइये आपको सुनवाते हैं एक करारा गीत, जी हाँ, सन ८० में मैंने अपने एक
मित्र को इसे करारा कहते ही सुना था. ये उस समय का लोकप्रिय गीत था.
फिल्म ओ बेवफा का "भरी बरसात में दिल लगाया " गीत लिखा है फिल्म के
निर्देशक सावन कुमार टाक ने और संगीत है वेदपाल का, गा रही हैं इसे
हेमलता. सावन कुमार के लिखे गीतों में "सावन" शब्द न हो ऐसा कैसे
हो सकता है भला ? उन्होंने गर्मी पर भी गीत लिखा होगा तो उसमें सावन
शब्द ज़रूर आया होगा.
गीत के बोल:
भरी बरसात में दिल जलाया
रे जा तेरा कुछ न रहे
भरी बरसात में दिल जलाया
रे जा तेरा कुछ न रहे
संग सावन के
मुझको रुलाया
रे जा तेरा कुछ न रहे
भरी बरसात में दिल जलाया
रे जा तेरा कुछ न रहे
प्रीत न करियो सबने कहा था
मैं निकली नादान
मैंने तुझपे किया भरोसा
तू निकला बेईमान
अपना तू निकला पराया
रे जा तेरा कुछ न रहे
भरी बरसात में दिल जलाया
रे जा तेरा कुछ न रहे
मैं खुद को मीरा समझी थी
तुझको समझा श्याम
मैं खुद को मीरा समझी थी
तुझको समझा श्याम
पर तूने बेदर्दी मेरा
प्यार किया बदनाम
तूने प्यार में ज़हर मिलाया
रे जा तेरा कुछ न रहे
भरी बरसात में दिल जलाया
रे जा तेरा कुछ न रहे
तोड़ के मेरे दिल को ज़ालिम
चैन कहाँ तू पायेगा
तोड़ के मेरे दिल को ज़ालिम
चैन कहाँ तू पायेगा
मैं पछताई पाकर तुझको
तू खो कर पछतायेगा
बैरी काहे को ब्याह रचाया
रे जा तेरा कुछ न रहे
भरी बरसात में दिल जलाया
रे जा तेरा कुछ न रहे
भरी बरसात में दिल जलाया
Bhari barsaat mein dil jalaya-Oh bewafa 1980
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