मुस्कुरा के जियो जिंदगी-आग १९९४
आज. सभी जानते हैं मुस्कुराना और हंसना स्वास्थ्य के
लिए ज़रूरी है. हँसते हँसते कई मुश्किलें ताल जाती हैं और
हल हो जाती हैं. हँसने वाले के साथ सभी चलना पसंद
करते हैं और रोने वालों के तो साये भी साथ छोड़ दिया
करते हैं.
गीत कुमार सानु ने गाया है और बोल समीर के हैं. गीत में
एक बात अनूठी कही गयी है-वक्त के साथ हर ज़ख्म भरता
नहीं. हम अक्सर ज़ख्मों के भर जाने के बारे में ही सुनते
आये हैं. ये थोडा अलग है. साथ में ये भी बात कही गयी
है-ज़ख्मों के न भरने के बावजूद कोई मरता नहीं, सही है.
गीत के बोल:
मुस्कुरा के जियो जिंदगी
ओ मेरे यार
मुस्कुरा के जियो जिंदगी
ओ मेरे यार
आयेंगे जायेंगे गम खुशी
ओ मेरे यार
मुस्कुरा के जियो जिंदगी
ओ मेरे यार
आँखों में अश्क है सीने में आग है
जिंदगी कुछ नहीं दर्द का राग है
वक्त के साथ हर ज़ख्म भरता नहीं
फिर भी जीते हैं सब कोई मरता नहीं
कोई मरता नहीं
जो न हारे वही आदमी
ओ मेरे यार
आयेंगे जायेंगे गम खुशी
ओ मेरे यार
मुस्कुरा के जियो जिंदगी
ओ मेरे यार
रस्ते मिल गए बन गए काफिले
जो चले बस उसी को मंजिल मिले
वो भला या बुरा दिन गुज़र जाता है
सबका बिगड़ा नसीबा संवर जाता है
हाँ संवर जाता है
फिर भला किसलिए बेबसी
ओ मेरे यार
मुस्कुरा के जियो जिंदगी
ओ मेरे यार
आयेंगे जायेंगे गम खुशी
ओ मेरे यार
मुस्कुरा के जियो जिंदगी
ओ मेरे यार
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Muskura ke jiyo zindagi-aag 1994
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