ये दिल सुन रहा है-ख़ामोशी द म्यूजिकल १९९६
पाता. कभी कभी तो मानो हथेली में से रेत की मानिंद भी
फिसल जाता है. फिल्म ख़ामोशी-द म्यूजिकल को बने पूरे
१९ साल हो गए हैं मगर ऐसा लगता है इसका संगीत सुन
कर मानो हाल की ही कोई फिल्म हो. इसके संगीत में जो
आकर्षण मौजूद है वही इस ख्याल की वजह हो सकता है.
प्रस्तुत है फिल्म का एक गीत मजरूह की कलम से निकला
हुआ और कविता कृष्णमूर्ति का गाया हुआ. गीत का संगीत
जतिन ललित की जोड़ी ने दिया है. संजय लीला भंसाली की
उल्लेखनीय फिल्मों में से एक है ख़ामोशी. वैसे तो समीक्षक
उनकी हर फिल्म को उल्लेखनीय बताने और साबित करने के
ढेरों बहाने ढूंढ ही लेते हैं चाहे वो वास्तविकता में कैसी भी हो.
इस फिल्म का कथानक तो वाकई अलग-हट-के था. बॉलीवुड
की कई अलग-हट-के बनी हुई फिल्मों पर मैंने शोध करने का
प्रयास किया है. समीक्षाओं की गुणवत्ता को देखते हुए सोचता
हूँ मैं भी समीक्षा लिखना शुरू कर दूं. पाठकों की क्या राय है
इस मामले में ?
गीत में आपको नाना पाटेकर और हेलन भी नज़र आयेंगे.
गीत के बोल:
ये दिल सुन रहा है तेरे दिल की ज़ुबां
ऐ मेरे हमनशी मैं वहाँ तू जहाँ
मेरी सदा में बोले तू ये कोई क्या जाने
गीत में है साज में है तू ही तू नगमा कहाँ
ये दिल सुन रहा है
दर्द-ए-मोहब्बत के सिवा मैं भी क्या तू भी क्या
ये ज़मीं हम आसमां हम अब हमें जाना कहाँ
ये दिल सुन रहा है
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Ye Dil Sun Raha Hai - Khamoshi 1996
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