क्या नज़ारे क्या सितारे-झील के उस पार १९७३
और जिसे जनता भी कम सुना करती है. इस गीत की
हालांकि राहुल देव बर्मन के भक्त बहुत तारीफ करते हैं,
इस गीत के बोल बढ़िया हैं, इस गीत का संगीत बढ़िया
है, इस गीत में एक्टिंग अच्छी की है कलाकारों ने, इस
गीत को गायक ने बहुत उम्दा तरीके से गाया है, इत्यादि.
गीत सिचुएशनल किस्म का है. कहानी में नायिका देखने
से मोहताज़ है, उसके आँखों के ऑपरेशन की तैय्यारी हो
चुकी है. नायक चाहता है वो ज़ल्द ठीक हो जाए और
सारे नज़ारे देख पाए.
कुछ भी हो गीत में जो चीज़ सबसे बढ़िया है वो है इसके
फिल्मांकन की लोकेशन जिसकी वजह से इसे एक बार सुन
कर आनंद उठाया जा सकता है. आप भी उठायें. इस फिल्म
का फिल्मांकन जाने माने कैमरामेन जाल मिस्त्री ने किया है
गीत के बोल:
क्या नज़ारे क्या सितारे
सबको है इंतज़ार सब हैं बेक़रार
तू कब सब देखेगी
हर कली में हर गली में
देखेगी मेरा प्यार प्यार की बहार
तू सब जब देखेगी
क्या नज़ारे क्या सितारे
सबको है इंतज़ार सब हैं बेक़रार
तू कब सब देखेगी
बादल अम्बर पे यूँ ही आता जाता रहेगा
तेरे रेशमी आँचल की तरह लहराता रहेगा
क़दमों की धूल चूमेगी ये फूल
तू जब सब देखेगी
मन में तू ऐसे समायी जैसे नदिया में नीर
मेरे नैनों के दर्पण में लगी है यूँ तेरी तसवीर
अपना ये रूप ये छाँव धूप
तू जब सब देखेगी
क्या नज़ारे क्या सितारे
सबको है इंतज़ार सब हैं बेक़रार
तू कब सब देखेगी
हर कली में हर गली में
देखेगी मेरा प्यार प्यार की बहार
तू सब जब देखेगी
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Kya nazare-Jheel ke us paar 1973
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