काला शाह काला-आई मिलन की रात १९९१
होंगे. सुनाई ऐसे देता है जैसे ‘काला शा काला’ गाया जा रहा
हो. सुनने में ऐसा भ्रम होता है कभी कभी, जैसे एक गीत है
‘धीरे धीरे बोल कोई सुन ना ले’, ये सुनाई देता है-धीरे धीरे
बोल कोई सुन्नाले.
फिल्म आई मिलन की रात का ये गीत भी लोकप्रिय रहा है. ९०
के दशक में पंजाबी गीतों का चलन थोडा बढ़ गया था और ये
उन चुनिन्दा फ़िल्मी पंजाबी गीतों में से एक है.
गाना सुनते हैं जो अनुराधा पौडवाल के लोकप्रिय गीतों में गिना
जाता है. समीर ने इसे लिखा है और संगीत एक बार फिर से
चित्रगुप्त पुत्रों आनंद मिलिंद का है.
गीत के बोल:
हो काला शाह काला
हाय काले हैं दिल वाले गोरिया नु दफा करो
गोरे दिल के काले गोरिया नु दफा करो
गोरी राधा का साजन है काला कृष्ण कन्हैया
मेरे लिए गोरा साजन मत ढूंढियो मेरी मैया
काले को जो दे दे मेरे शगुन का एक रुपैया
मैं सदके काले रे दिलवाले वे ओ मतवाले वे
ये काले हैं दिलवाले
काली रात के आँचल से जो चमके चाँद सितारे
काली कोयलिया जब गाये झूमे मन मतवाले
गोरे गाल पे काला तिल मोरा रूप सवारे
मैं सदके काले पे किस्मत पे ओ दिलवाले के
ऐ दिल काले के हवाले
गोरिया नु दफा करो
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Kaala shah kaala-Aayi milan ki raat 1991
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