कोई जब राह ना पाए-दोस्ती १९६४
गीत सुना जाए. तेज गति वाला ये गीत फिल्म का शीर्षक गीत
है और पूरी तरह से मित्रता को समर्पित है.
बोल एक बार फिर से मजरूह साहब के हैं और संगीत दिया है
लक्ष्मीकांत प्यारेलाल ने. मोहम्मद रफ़ी ने इसे गाया है. याद
हो इस फिल्म के सभी गीत लोकप्रिय हैं विशेषकर रफ़ी के
गाये हुए. फिल्म के गानों में संगीतकार आर डी बर्मन ने एक
वाद्य यन्त्र बजाया है जिसका नाम है-माउथ ऑर्गन. ये भी
दोस्ती की एक मिसाल है.
गीत के बोल:
कोई जब राह न पाए, मेरे संग आए
के पग-पग दीप जलाए
मेरी दोस्ती मेरा प्यार
जीवन का यही है दस्तूर
प्यार बिना अकेला मजबूर
दोस्ती को माने तो सब दुख दूर
कोई काहे ठोकर खाए
मेरे संग आए
के पग-पग दीप जलाए
मेरी दोस्ती मेरा प्यार
दोनो के हैं, रूप हज़ार
पर मेरी सुने जो संसार
दोस्ती है भाई, तो बहना है प्यार
कोई मत चैन चुराए
मेरे संग आए
के पग-पग दीप जलाए
मेरी दोस्ती मेरा प्यार
प्यार का है, प्यार ही नाम
कहीं मीरा, कहीं घनश्याम
दोस्ती का यारो नहीं कोई दाम
कोइ कहीं दूर ना जाए
मेरे संग आए
के पग-पग दीप जलाए
मेरी दोस्ती मेरा प्यार
कोई जब राह न पाए, मेरे संग आए
के पग-पग दीप जलाए
मेरी दोस्ती मेरा प्यार
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Koi jab raah na....meri dosti mera pyar-Dosti 1964
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