तू कौन सी बदली में मेरे चाँद-खानदान १९४२
काली-पीली(श्वेत श्याम) फिल्मों के युग में. उनका
लिखा एक गीत सुनते हैं आज नूरजहाँ का गाया
हुआ. गौरतलब है किसी गायिका के नाम के आगे
मैडम नहीं लगा. ये रुतबा केवल नूरजहाँ को हासिल
है. उनके चाहने वालों की कोई कमी नहीं है.
इस गीत में नायिका चाँद और ईद को याद कर रही
है. संगीत तैयार किया है गुज़रे हुए ज़माने के नामचीन
संगीतकार गुलाम हैदर ने.
गीत के बोल:
तू कौन सी बदली में मेरे चांद है आ जा
तारे हैं मेरे ज़ख्म-ए-जिगर, इनमें समा जा
तू कौन सी बदली में मेरे चांद है आ जा
दिल ढूंढ रहा है के मेरा चांद कहाँ है
छोटी सी झलक दे के मेरी ईद बना जा
तारे हैं मेरे ज़ख्म-ए-जिगर, इनमें समा जा
पहलू में लिये बैठी हूँ मैं दर्द भरा दिल
मर जाऊं या जीती रहूं ये तो बता जा
तारे हैं मेरे ज़ख्म-ए-जिगर, इनमें समा जा
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Too kaun si badli mein mere chand-Khandan 1942
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