साथ हो तुम और रात जवां-कांच की गुडिया १९६१
कांच की गुडिया के गीत के लिए. मुझे याद है वो ज़माना
जब ये गीत “भूले बिसरे गीत “ कार्यक्रम का नियमित
हिस्सा हुआ करता था.
मुकेश और आशा भोंसले का गाया युगल गीत एक पोपुलर
गीत है जिसे सुन कर आप कभी बोर नहीं होंगे. गुमनाम सी
फिल्म में ऐसे नायब रत्न मिल जाते हैं. सुहरीद कर फिल्मों
में स्क्रीनप्ले लिखा करते थे. उन्होंने संगीत क्षेत्र में कदम
रखा और केवल एक हिंदी फिल्म में संगीत दिया, रोचक
है.
उनके बारे में जो जानकारी थोड़ी बहुत उपलब्ध है नेट पर वो
ये कि वे एस डी बर्मन के एक सहायक थे. उनके इस गीत में
पाए जाने वाले अतिरिक्त सुरीलेपन के लिए आप बर्मन खेमे में
गुज़ारे गए वक्त को एक वजह मान सकते हैं.
गाने की ऑडियो क्लिप उपलब्ध है यू-ट्यूब पर. इसी से गाने
का लुत्फ़ लीजिए.
गीत के बोल:
साथ हो तुम और रात जवां
नींद किसे अब चैन कहा
कुछ तो समझ ऐ भोले सनम
कहती है क्या नज़रों की ज़ुबान
साथ हो तुम और रात जवां
महकती हवा, छलकती घटा
हमसे ये दिल संभलता नहीं
की मिन्नतें, मनाकर थकी
करे क्या ये अब बहलता नहीं
देख के तुमको बहकने लगा
लो मचलने लगा, हसरतों का जहाँ
साथ हो तुम और रात जवां
नींद किसे अब चैन कहा
कुछ तो समझ ऐ भोले सनम
कहती है क्या नज़रों की ज़ुबान
साथ हो तुम और रात जवां
हम इस राह में मिले इस तरह
के अब उम्रभर ना होंगे जुदा
मेरे साज-ए-दिल की आवाज़ तुम
मैं कुछ भी नही तुम्हारे बिना
आओ चले हम जहा प्यार से
वो गले मिल रहे हैं ज़मीन आसमां
साथ हो तुम और रात जवां
नींद किसे अब चैन कहा
कुछ तो समझ ऐ भोले सनम
कहती है क्या नज़रों की ज़ुबान
साथ हो तुम और रात जवां
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Saath ho tum aur raat jawan-Kaanch ki gudiya 1961
Artists: Manoj Kumar, Saeeda Khan
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