Aug 17, 2015

कसम क्या होती है १-कसम १९८८

एक पुराना गीत है-कसमें वादे प्यार वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या.
कुछ के लिए ये दिल्लगी भी हो सकती है तो कुछ के लिए सब
कुछ. कसम खाने का रिवाज फिल्मों में भी कम हो गया है. अब
मोबाइल युग में अधिकाँश ने झूठ बोलना शुरू कर दिया है और
उसके अलावा पुराने ज़माने की माँ कहाँ देखने को मिलती है अब
फिल्मों में. अब आधुनिक ज़माने की माँ है फिल्म में और बच्चे
भी प्रगतिशील हैं जिनकी प्रगति तो आगे की ओर जा रही है शील
कहीं पीछे छूटता जा रहा है. ऐसे में कसमे वस्में कौन खाए और
खा भी ले तो पचाना मुश्किल है.

आपको सुनवाते हैं कसम पर बना एक प्रमाणिक सा गीत, प्रमाणिक
इसलिए कि इसके बाद कसम के ऊपर बना इतना दमदार गीत मुझे
सुनाई नहीं दिया. हो सकता है बना हो मगर मेरे कानों तक नहीं
पहुंचा. वो तो मैंने इमानदारी से यहाँ लिख दिया, वरना, आप दूसरे
ब्लॉग पर इसकी उम्मीद ना करें. कोई भी अपनी अनभिज्ञता जाहिर
नहीं करता और अपनी कमियां ढांक के रखने की सलाह तो प्रसिद्ध
राजनीतिकार चाणक्य भी दे चुके हैं. आप अगर अलग अलग ब्लॉग
पढते होंगे तो ये ज़रूर महसूस करते होंगे कि जानकारियां अलग
अलग तरह से प्रस्तुत होती हैं सभी जगह. अगर कहीं पर एक गलती
है तो वो अधिकाँश जगह पर दोहराई हुई मिलेगी. वैसे आप फिल्म का
नाम कहीं पर Qasam तो कहीं पर Quasam लिखा हुआ पाएंगे.

गीत इन्दीवर का लिखा और बप्पी लहरी का स्वरबद्ध किया हुआ है.
इसे नितिन मुकेश और आशा भोंसले ने गाया है. ये नितिन मुकेश
वाला संस्करण है.





गीत के बोल:

कसम क्या होती है कसम वो होती है
जो तोड़ी ना जाए बिछोड़ा ना पाए
कसम क्या होती है कसम वो होती है
जो तोड़ी ना जाए बिछोड़ा ना पाए

यार बिछड़ने लगते हैं तो रब की आँख भी रोती है
कसम क्या, कसम क्या
कसम क्या होती है कसम वो होती है
जो तोड़ी ना जाए बिछोड़ा ना पाए

तेरी कसम तू हमसे जो रूठी जां से गुज़र जाएंगे ही
हो तेरी हाँ से जी उठेंगे ना से मर जाएंगे ही
बात बात में कसम क्या खाना कसम मज़ाक नहीं है
कसम है जितनी पाक चीज़ कोई उतनी पाक नहीं है
दिलों का संगम है हो कसम गंगाजल है
दिलों का संगम है हो कसम गंगाजल है
प्यार पे दाग जो लग जाए तो अपने लहू से धोती है
कसम क्या, कसम क्या
कसम क्या होती है कसम वो होती है
जो तोड़ी ना जाए बिछोड़ा ना पाए

दिलों के लिए ज़रूरी नहीं है दुनिया की मंज़ूरी
कसम प्यार की नहीं मानती जन्मों की भी दूरी
तन्हाई को महकाती है यादों की कस्तूरी
कसम है वो जो हर हालत में की जाती है पूरी
कसम इक गीता है कसम वो सीता है
कसम इक गीता है कसम वो सीता है
राजमहल के छोड़ के सुख जो अंगारों पे सोती है
कसम क्या, कसम क्या
कसम क्या होती है कसम वो होती है
जो तोड़ी ना जाए बिछोड़ा ना पाए
................................................................................
Kasam kya hoti hai-Kasam 1988

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP