ये दिन क्या आये-छोटी सी बात १९७५
उम्दा किस्म के गीत रचे फिल्मों के लिए. फिल्मों में उनकी सेवा
सलिल चौधरी ने ली, जो श्वेत श्याम युग में शैलेन्द्र के मुरीद थे.
सलिल अपनी धुनों में सेलेक्टिव थे तो अपने बाकी के पहलुओं में
भी. मुकेश से उन्होंने कई अच्छे गीत गवाए. मुकेश की आवाज़ के
भारीपन के वो कायल थे. मुकेश जिन्हें क्लासिकल गीत गाने में
कहिनायी महसूस होती थी, उन्हें सलिल की क्लिष्ट धुनों को गाने
में कोई परेशानी नहीं आई. सलिल एक ऐसे संगीतकार थे जो अपने
गायकों के प्रति बहुत सम्मान रखते थे.
आइये सुनें चर्चित फिल्म छोटी सी बात से एक गीत जो मुकेश का
गाया हुआ है. सन १९७५ की फिल्म छोटी सी बात एक अलग तरह
की फिल्म थी जो उस समय सिनेमा में हो रहे बदलाव का प्रतीक
भी है. प्रयोगवादी दौर था वो, जिसमें शायद सबसे ज्यादा लीक से
हट कर फ़िल्में बनी.
गीत के बोल:
ये दिन क्या आये लगे फूल हसने
देखो बसंती बसंती होने लगे मेरे सपने
सोने जैसी हो रही हैं हर सुबह मेरी
लगे हर सांझ अब गुलाल से भरी
चलने लगी महकी हुई पवन मगन झूम के
आँचल तेरा चूम के
वहाँ मन बावरा आज उड़ चला
जहाँ पर हैं गगन सलोना सावला
जा के वही रख दे कही मन रंगों में खोल के
सपने ये अनमोल से
ये दिन क्या आये लगे फूल हसने
देखो बसंती बसंती होने लगे मेरे सपने
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Ye din kya aaye-Chhoti si baat 1975
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