भोला बचपन दुखी जवानी-एक ही रास्ता १९५६
सुनो. सब एक से बढ़ कर एक कलाकार हैं. बहुत दिन हुए
हेमंत कुमार का कोई गीत सुने. आइये फिर हो जाए एक
गीत फिल्म एक ही रास्ता से जिसे मजरूह सुल्तानपुरी ने
लिखा है और संगीत भी हेमंत कुमार का ही है. शुरूआती
बोलों के बाद आपको लाता की आवाज़ सुनाई देगी.
एक बात हेमंत कुमार की गायकी से जुडी हुई है वे कैसा भी
गीत गायें, एक दैवीय सा आभास ज़रूर होता है उनके गायन
में. दैवीय से मेरा मतलब यहाँ अंग्रेजी शब्द-Divinity से है.
उनकी गायकी को आप हलके फुल्के नहीं आंक सकते. भारी
आवाज़ के साथ साथ उनके गायन में गंभीरता भी है और
उनका संगीत भी सरल और मधुर है. हिंदी फिल्म संगीत के
क्षेत्र में उन्होंने भी कई झंडे गाडे हैं-नागिन, बीस साल बाद,
और भी कई फ़िल्में हैं जिन पर जिक्र हम करेंगे जैसे जैसे
इस ब्लॉग का कारवां आगे बढ़ता जायेगा.
इस फिल्म से आपको एक सुनवा चुके हैं पहले, चाहें तो उसे
भी देख लें.-चली गोरी पी से मिलन को चली. गीतों में इतनी
ताजगी है कि आज भी सुनो तो ऐसा लगता है अभी तैयार
किये गए हों.
गीत के बीच में छोटे से बच्चे की प्रार्थना है ईश्वर से,
गीत के बोल:
भोला बचपन दुखी जवानी
लंबी सूनी राहों में
निकले दर्द लिए मंजिल का
दो खामोश निगाहों में
कौन कहे राही को
कितनी दूर कहाँ तक जाना है
जीवन की सूनसान डगर में
कब तक ठोकर खाना है
Bhola bachpan dukhi jawani-Ek hi rasta 1956
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