खून पसीने की जो मिलेगी-खून पसीना १९७७
बहाते हैं तो दर्शकों का भी फ़र्ज़ बनता है अपना खून पसीना बहा
कर और अपने खून पसीने की कमाई लुटा कर फिल्म देखें.
आइये सुनते हैं फिल्म खून पसीना से चौथा गीत जिसे किशोर ने
गाया है, ये फिल्म का शीर्षक गीत है. इसे लिखा है अनजान ने
और इसकी धुन बनाई है कल्याणजी आनंदजी ने.
फिल्म का निर्देशन राकेश कुमार ने किया है और इसका निर्माण
बब्बू मेंहरा ने किया है. गीत का निर्देशन रोचक है और इसमें जो
अनाज की बोरियां दिखाई दे रही हैं उसे जनता इस अंदाज़ में ट्रक
में डाल रही है मानो रुई से भरी हों और उन्हें उसे उठाने में कोई
दिक्कत नहीं हो रही. गीत में ढेर सारे कलाकार हैं जिनमें आपको
बीते ज़माने के हास्य कलाकार सुन्दर भी नज़र आयेंगे, सुन्दर ने
टोपी पहन रखी है.
गीत के बोल:
हाँ सुनो सुनो अपने कानों में तेल डाल के सुनो
के बंद अपने प्यारों को आदाब बजा लाता है
अपनी आमा और अपनी जोरू के सर पे
हाथ रख के अपनी कसम दोहराता है,
क्या, ये
खून पसीने की जो मिलेगी तो खायेंगे
खून पसीने की जो मिलेगी तो खायेंगे
नहीं तो यारों हम भूखे ही सो जायेंगे
दौलत हराम की न न है ये किस काम की हाँ हाँ
दौलत हराम की है ये किस काम की
खा लो कसम इसे हाथ न लगाएंगे
हाथ न लगाएंगे हाथ न लगाएंगे
अरे खून पसीने की जो मिलेगी तो खायेंगे
नहीं तो यारों हम भूखे ही सो जायेंगे
हे, सेठ करोडीमल की बीबी एक रात ये बोली
नींद नहीं क्यूँ आती तुमको बिना नींद की गोली
तुमको बिना नींद की गोली तुमको बिना नींद की गोली
कहे क्या सेठ करोड़ी कम के कौड़ी कौड़ी
हराम की दौलत जोड़ी मगर लगती है थोड़ी
मगर लगती है थोड़ी मगर लगती है थोड़ी
खुल गयी चोर बाज़ारी अरे लुट गई दौलत सारी
सेठ भी अंदर माल भी अंदर दोनों न बच पाएंगे
जैसे सेठ मरा है वैसे सारे मारे जायेंगे
सारे मारे जायेंगे सारे मारे जायेंगे
अरे इसलिए तो कहता हूँ प्यारों
खून पसीने की जो मिलेगी तो खायेंगे
नहीं तो यारों हम भूखे ही सो जायेंगे
हे औरों का हक लूट के खाता था एक गुंडा नामी
हुक्म चलाता था सब पर वो सब करते थे गुलामी
सब करते थे गुलामी सब करते थे गुलामी
चढा रहता था पारा शहर डरता था सारा
मगर मारा मारी ने उसे किस मोड पे मारा
उसे किस मोड पे मारा उसे किस मोड पे मारा
हुआ जो मीसा जारी अकड वो टूटी सारी
तो जालिम अंदर जोश भी अंदर होश ठिकाने आ जायेंगे
जैसे मारा गया वो जालिम सारे मारे जायेंगे
सारे मारे जायेंगे सारे मारे जायेंगे
अरे इसलिए तो कहता हूँ प्यारों
अरे खून पसीने की जो मिलेगी तो खायेंगे
नहीं तो यारों हम भूखे ही सो जायेंगे
दौलत हराम की न न है ये किस काम की हाँ हाँ
दौलत हराम की है ये किस काम की
खा लो कसम इसे हाथ न लगाएंगे
हाथ न लगाएंगे हाथ न लगाएंगे
खून पसीने की जो मिलेगी तो खायेंगे
शाबास
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Khoon Pasine ki jo milegi-Khoon Pasina 1977
Artists: Amitabh, Rekha, Sundar,
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