मेरी सुन ले अरज बनवारी-आँखें १९६८
भक्ति संगीत के कार्यक्रमों में आपने कई बार अवश्य
ही सुना होगा.
संगीतकार रवि ने ऐसे बहुत भक्ति गीत बनाये है जो
निरन्तर बजते मिल जाते हैं. उनकी धुनों की सरलता
और कुछ चुम्बकीय प्रभाव है जो बारम्बार सुनने के
लिए प्रेरित करता है.
साहिर के बोल हैं और इसे लता मंगेशकर ने गाया है.
गीत के बोल:
मेरी सुन ले अरज बनवारी
मेरी सुन ले अरज बनवारी
तेरे द्वार खड़ी दुखियारी
तेरे द्वार खड़ी दुखियारी
मेरी सुन ले अरज बनवारी
मेरी सुन ले अरज बनवारी
तेरे द्वार खड़ी दुखियारी
तेरे द्वार खड़ी दुखियारी
आर न सूझे पार न सूझे
अब कोई दूजा द्वार न सूझे
आर न सूझे पार न सूझे
अब कोई दूजा द्वार न सूझे
कौन ठिकाने जाऊं प्रभु मैं
छोड़ के शरण तिहाती
छोड़ के शरण तिहाती
तेरे द्वार खड़ी दुखियारी
तेरे द्वार खड़ी दुखियारी
मेरी सुन ले अरज बनवारी
मेरी सुन ले अरज बनवारी
तेरे द्वार खड़ी दुखियारी
तेरे द्वार खड़ी दुखियारी
छिनगया मेरी आस का मोती
खो गई इन नैनन की ज्योति
छिनगया मेरी आस का मोती
खो गई इन नैनन की ज्योति
तेरे जगत में भटक रही हूँ
मैं ममता की मारी
मैं ममता की मारी
तेरे द्वार खड़ी दुखियारी
तेरे द्वार खड़ी दुखियारी
मेरी सुन ले अरज बनवारी
मेरी सुन ले अरज बनवारी
तेरे द्वार खड़ी दुखियारी
तेरे द्वार खड़ी दुखियारी
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Meri sun le araj banwari-Aankhen 1968
Artist: Kumkum
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