Oct 4, 2015

बन्ना रे बागां में झूला घाल्या-गंगा की कसम १९९९

राजस्थान की संस्कृति और संगीत बहुत समृद्ध हैं. लोक गीत
जीवंत हैं वहां के. समय समय पर वहां के गीतों का प्रयोग
हिंदी फिल्मों में होता रहा है. ये बात दीगर है सभी प्रकार के
गीत फिल्मों में सुनाई दिए हैं. प्रस्तुत गीत एक सोबर किस्म
का गीत है और इसे आप बेफिक्र होकर सुन सकते हैं. हाँ इसे
राजस्थान के मूल कलाकारों की आवाज़ में सुनना ज्यादा
आनंददायी होता है. फिल्मीकरण में वो मज़ा नहीं.

मिथुन चक्रवर्ती अभिनीत सन १९९९ की फिल्म गंगा की कसम
के लिए इसे लिखा अनजान ने और धुन बनाई बप्पी लहरी ने.
गायक कलाकार हैं-सुखविंदर और जसपिंदर नरूला. गौरतलब
है दोनों पंजाबी मूल के गायक हैं और दोनों ही ऊंची पट्टी पे
गाने के लिए विख्यात हैं. सुखविंदर तो सक्रिय हैं हिंदी फिल्मों
में मगर जसपिंदर नरूला को ज्यादा अवसर नहीं मिलते वर्त्तमान
में. पाठकों से बोलों की त्रुटियाँ दूर करने का निवेदन एडवांस में.
.



गीत के बोल:

गोरी रे गोरी रे गोरी रे

बन्ना रे बागां में झूला घाल्या
हो बन्ना रे बागां में झूला घाल्या

म्हारे हिवडे की म्हारे जियरा की
म्हारा मनवा की कोयल बोले
म्हारा छैल कँवर सा
म्हारे हिवडे की म्हारे जियरा की
म्हारा मनवा की कोयल बोले
म्हारा छैल कँवर सा

गोरी रे बागां में झूला घाल्या
गोरी रे बागां में झूला घाल्या

म्हारे हिवडे का म्हारे जियरा का
म्हारे मनवा का मोरया नाचे
झूला चाल कँवर सा

म्हारे हिवडे का म्हारे जियरा का
म्हारे मनवा का मोरया नाचे
झूला चाल कँवर सा

बन्ना रे बागां में झूला घाल्या
हो ओ ओ गोरी रे बागां में झूला घाल्या

हो बन्ना रे बन्ना रे
गोरी रे गोरी रे गोरी रे, गोरी रे

बन्ना रे फागां की रुत आई
बन्ना रे फागां की रुत आई
मैं लुक छुप मैं तो गुप चुप
मैं तो छोले छोले आई म्हारा छैल कँवर सा
मैं लुक छुप मैं तो गुप चुप
मैं तो छोले छोले आई म्हारा छैल कँवर सा

गोरी रे रंग गुलाबी थारो
हो हो हो गोरी रे रंग गुलाबी थारो
काले नैनों से लाल गलों से
लाल होंठों से रंग मत मारो
मेरी जान कँवर सा
काले नैनों से लाल गलों से
लाल होंठों से रंग मत मारो
मेरी जान कँवर सा
बन्ना रे बागां में झूला घाल्या
गोरी रे बागां में झूला घाल्या

बन्ना बन्ना बन्ना रे
बन्ना बन्ना बन्ना रे
गोरी रे गोरी रे गोरी रे

बन्ना रे रंग में रंग घुल जाए
बन्ना रे रंग में रंग घुल जाए

जब नैन मिले जब होंठ मिले
जब मनवा से मन मिल जाए
म्हारा छैल कँवर सा
जब नैन मिले जब होंठ मिले
जब मनवा से मन मिल जाए
म्हारा छैल कँवर सा
गोरी रे प्रीत की डोर न टूटे
गोरी रे प्रीत की डोर न टूटे
इस जनम में उस जनम में सौ जनम में
साथ न छूटे मेरी जान कँवर सा
इस जनम में उस जनम में सौ जनम में
साथ न छूटे म्हारा छैल कँवर सा
सौ जनम में साथ न छूटे मेरी जान कँवर सा
सौ जनम में साथ न छूटे म्हारा छैल कँवर सा

बन्ना रे बागां में झूला घाल्या
गोरी रे बागां में झूला घाल्या
बन्ना रे बागां में झूला घाल्या
हो हो गोरी रे बागां में झूला घाल्या
गोरी रे गोरी रे  गोरी रे
बन्ना रे बन्ना रे बन्ना रे
बन्ना रे बन्ना रे
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Banna re baagan mein-Ganga ki kasam 1999

Artists: Mithun Chakravorty, Deepti

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