Jan 15, 2016

ये खुशी ले के मैं क्या करूं-सम्बन्ध १९६९

ओ पी नैय्यर ने अपने संगीत जीवन के उत्तरार्ध में
(१९६५ के बाद) महेंद्र कपूर से कई गीत गवाए। इसका
फ़ायदा महेंद्र कपूर को काफ़ी हुआ.  वे प्रमुख गायकों
में गिने जाने लगे. वैसे फ़िल्म संगीत में जब जब
ऊंची पट्टी पर खुल के गाने की ज़रूरत होती उनको
याद किया जाता रहा संगीत निर्देशकों द्वारा. उनके गाये
गीतों में युगल गीतों की संख्या काफ़ी ज्यादा है.

सम्बन्ध फ़िल्म में महेंद्र कपूर के ३-४ गीत हैं. प्रस्तुत
गीत थोडा निराशावादी है मगर कर्णप्रिय है. गीतकार हैं
कवि प्रदीप. गीत में आपको नायिका अंजना मुमताज़ और
नायक अभी भट्टाचार्य भी दिखलाई देंगे. अचला सचदेव
को तो आपने पहचान ही लिया होगा जो गीत के अंत में
बेहोश हो कर गिर पड़ती हैं.



गीत के बोल:

चरागों का लगा मेला
ये झांकी खूबसूरत है
मगर वो रौशनी है कहाँ
मुझे जिसकी ज़रूरत है
ये खुशी ले के मैं क्या करूं
मेरी है अब तलक रात काली
ये खुशी ले के मैं क्या करूं
मेरी है अब तलक रात काली

जगमगाते दियों मत जलो
जगमगाते दियों मत जलो
मुझसे रूठी है मेरी दीवाली

ये खुशी ले के मैं क्या करूं
मेरी है अब तलक रात काली

जिनसे रोशन थी ये जिंदगी
वो जाने कहीं चल दिए
जिनसे रोशन थी ये जिंदगी
वो जाने कहीं चल दिए
रौशनी मेरे आकाश को
देने वाले कहीं चल दिए
चल दिए हैं मेरे देवता
जिनका मंदिर पड़ा आज खाली
जगमगाते दियों मत जलो
मुझसे रूठी है मेरी दीवाली

ये खुशी ले के मैं क्या करूं
मेरी है अब तलक रात काली

मैं जितना आज हूँ उतना ना था उदास कभी
चले गए वो बड़ी दूर जो थे पास कभी
अनाथ कर गए मुझको बिसारने वाले
बिना बताये अचानक सिधारने वाले
कहाँ हो ए मेरी बिगड़ी संवारने वालों
पुकार लो मुझे बेटा पुकारने वालों
........................................................
Ye khushi le ke main kya-Sambandh 1969

1 comments:

anjanamumtazfan,  May 18, 2018 at 11:45 PM  

Thanks and btw welcome back

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