Jan 16, 2016

सांझ ढली दिल की लगी-काला बाजार १९६०

संगीतकार बर्मन सीनियर ने अधिकतर गीत किशोर से या
रफ़ी से गवाए जहाँ तक पुरुष आवाजों का सवाल है. हास्य
गीत गवाए मन्ना डे से. मन्ना के गाये गीत अक्सर हास्य
कलाकारों पर ही फिल्माए जाते.

इस गीत की अनोखी बात ये है कि ये हीरो के साइड किक
पर न फिल्मा के स्वयं नायक पर फिल्माया गया है. गीत
गाया है मन्ना के साथ आशा ने. गीत कुछ हास्य भाव लिए
हुए है शायद इसलिए बर्मन साहब ने मन्ना की सेवाएं लीं.
इस गीत में कुछ इठलाने और लड़ियाने के भाव भी हैं जो
ज़्यादातर गायिका ने उभारे हैं गीत में. अगर आप गीत
गुनगुनाने के शौक़ीन हैं तो ये काफी कसरत करने वाला एक
गीत है, ये समझ लें. गीत लिखा है शैलेन्द्र ने. काला बाजार
फिल्म के लगभग सभी गीत लोकप्रिय रहे हैं.



गीत के बोल:

सांझ ढली दिल की लगी थक चली पुकार के
आ जा आ जा आ भी जा
क्या दूं तुझे पहले से मैं बैठी हूँ दिल हार के
जा जा जा जा जा तू जा

सांझ ढली दिल की लगी थक चली पुकार के
आ जा आ जा आ भी जा
क्या दूं तुझे पहले से मैं बैठी हूँ दिल हार के
जा जा जा जा जा तू जा

जिद पे आ गया है दिल के आज यूँ ना लुटाना
मेरी सुनो लौट जाओ छोड़ दो ये बचपना
चार दिन की जिंदगी में दिन हैं दो बहार के
आ जा आ जा आ भी जा
क्या दूं तुझे पहले से मैं बैठी हूँ दिल हार के
जा जा जा जा जा तू जा

कैसे कहूँ कैसी उलझनों में मेरी जान है
हाँ कहो ना समझ गए ये प्यार की जुबान है
काटने हैं हमको दिन किसी के इंतज़ार के
जा जा जा जा जा तू जा
सांझ ढली दिल की लगी थक चली पुकार के
आ जा आ जा आ भी जा
क्या दूं तुझे पहले से मैं बैठी हूँ दिल हार के
जा जा जा जा जा तू जा

सुन तो ले के मेरे दिल का तुझसे क्या सवाल है
कुछ ना कर सकूंगी मैं इसी का तो मलाल है
दिल न तोड़ चाहे बोल दो ही बोल प्यार के
आ जा आ जा आ भी जा
क्या दूं तुझे पहले से मैं बैठी हूँ दिल हार के
जा जा जा जा जा तू जा
सांझ ढली दिल की लगी थक चली पुकार के
आ जा आ जा आ भी जा
जा जा जा जा जा तू जा
आ जा आ जा
जा तू जा
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Sanjh dhali dil ki lagi-Kala Bazar 1960

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