मेरी जान मेरी जान कहना मानो--दो चोर १९७२
समय बड़े हैंडसम व्यक्ति माने जाते थे और उनकी
गिनती दुनिया के सबसे खूबसूरत लोगों में होती थी.
फिल्मों में नायक पहले भी अपने कसरती बदन का
प्रदर्शन करते थे, धर्मेन्द्र उनमे से एक प्रमुख कलाकार
हैं।
बहुत कम गीत ही आपको ऐसे मिलेंगे जिसमे नायक
और नायिका की सेहत दुरुस्त मिले। इस फिल्म में हीरो
हीरोईन दोनों सेहतमंद हैं। वैसे दक्षिण भारत के नायक
नायिका उत्तर भारत के नायक नायिकाओं की अपेक्षा
ज्यादा सेहतमंद और खाते पीते घर के नज़र आते हैं.
गीत में नायक निवेदन कर रहा है या सलाह दे रहा है
ये गीत सुन के पता लगाइये. गीत मजरूह ने लिखा है
और इसकी धुन बनायीं है राहुल देव बर्मन ने. गायक
को आप पहचानते हैं-योड्लिंग के भारतीय महाराजा.
गीत के बहाने आपको बम्बई की चौपाटी की मैरीन ड्राइव
का खूबसूरत नज़ारा देखने को मिलेगा. धन्यवाद टूरिज़म
फ्रेंडली हिंदी सिनेमा. बिन घुँघरू के पायल नहीं बजा करती
है-इस गीत का सन्देश.
गीत के बोल:
मेरी जान मेरी जान कहना मानो
मेरी जान मेरी जान कहना मानो
हो दुश्मन है जहाँ रुत पहचानो
कटेगी न ये डगर बिना एक हमसफ़र
फिर क्यूँ बंदे को अपना ही जानो
मेरी जान मेरी जान कहना मानो
कोई भी गाडी दुनिया में
एक पहिये से नहीं चलती
चले नहीं जिंदगी बिन साथी के
देखो तुम्हारी पायल भी
घुँघरू से नहीं बजती
बजती हैं तालियाँ दो हाथों से
मेरे संग आ जाओ बुरा मत मानो
हो मेरी जान मेरी जान कहना मानो
मैं भी नहीं कुछ तुमसे कम
तुम जो नहीं रुकने वाले
ढंग मेरे हाथ में हैं और भी
तुमको हंसा के छोडूंगा
तोड़ के होंठों के ताले
समझ लो मैं हूँ सनम दिल का चोर भी
अपना जैसा मुझे भी जानो
हो मेरी जान मेरी जान कहना मानो
हो दुश्मन है जहाँ रुत पहचानो
कटेगी न ये डगर बिना एक हमसफ़र
फिर क्यूँ बंदे को अपना ही जानो
मेरी जान मेरी जान कहना मानो
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Mei jaan meri jaan kehna maano-Do chor 1972
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