प्यारी प्यारी सूरतों-दुश्मन १९३९
अधूरी सी लगती है. अब सुनते हैं सहगल का एक गीत.
फिल्म दुश्मन(१९३९) से आप इधर दो गीत सुन चुके हैं. आज
सुनते हैं तीसरा गीत जो सहगल का गया हुआ है. बोल फिर
से एक बार आरजू लखनवी के हैं और संगीत पंकज मलिक का.
गीत ७६ साल पुराना है. गौरतलब है हिंदी फिल्मों ने बोलना
सन १९३१ में शुरु किया था.
फिल्म का निर्माण उस समय की नामचीन संस्था-न्यू थियेटर्स
ने किया था. फिल्म का निर्देशन नितिन बोस ने किया. सन १९३९
में न्यू थियेटर्स की केवल यही फिल्म रिलीज़ हुई थी. फिल्म में
पृथ्वीराज कपूर भी मौजूद हैं. फिल्म क्लासिक के दर्जे में आती है.
प्यारी-प्यारी सूरतों मोह भरी मूरतों
देश से परदेश में
तुम्हारा संदेसा आये है
तन से भी मन से भी
जैसा खींचा जाए है
मदद करो मदद करो
तुम तक आ जायेंगे
पहुंचेंगे आखिर कभी
छानेंगे एक एक गली
पहुंचेंगे आखिर कभी
छानेंगे एक एक गली
देखे वो मुखडा अभी
होगी यही बेकली
गाल हैं जिसके गुलाब
रस आँखों का शराब
गाल हैं जिसके गुलाब
रस आँखों का शराब
होश कहाँ रहेंगे फिर
खुद भी खो जायेंगे
हाँ वही गुल रस भरी जैसे बाजे बांसुरी
कानों में दे कर सन्देश
कानों में दे कर सन्देश
कानों में दे कर सन्देश
कानों में दे कर सन्देश
नींद से, नींद से चौंकाए है
देश से हम दूर हैं दूर हैं
आने से मजबूर हैं
देश से हम दूर हैं दूर हैं
आने से मजबूर हैं
मदद करो मदद बिना मदद बिना
मदद बिना कैसे पहुँच पाएंगे
मदद बिना कैसे पहुँच पाएंगे
मदद करो मदद करो मदद करो
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Pyari pyari soorton-Dushman 1939
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