ये कहाँ आ गए हम-सिलसिला १९८१
से एक आज प्रस्तुत है. टेक्निकली देखा जाए तो ये एक युगल
गीत है. लता मंगेशकर की आवाज़ के साथ इस गीत में संवाद
हैं अमिताभ बच्चन के, इस गीत की ख़ूबसूरती को बढाने के
लिए. लता की आवाज़ से तो चार चाँद लगा ही गए थे गीत में,
दो चाँद अमिताभ ने भी लगा दिए तो ये हो गया छः चाँद वाला
गीत.
शिव हरि ने निस्संदेह एक उत्तम दर्जे की धुन तैयार की है लता
के लिए. सन १९७५ के बाद जो कुछ प्रभावी गीत लता के आये
उनमें से आप सिलसिला के दो गीत –प्रस्तुत, नीला आसमान सो
गया और जो तुम तोडो पिया को गिन सकते हैं. खैय्याम के
अलावा राम लक्ष्मण और शिव हरि ऐसे संगीतकार हैं जिन्होंने
लता के ऐसे गीत बनाये जो कानों को सुखद लगे और ८० के
दशक में हिट भी रहे.
गीत की विशेषता इसका वाद्य यन्त्र संयोजन है. कहीं कहीं लाउड
होने के बावजूद वो सुनने वाले के कानों पर गुदगुदी करता ही
महसूस होता है. आज के संगीतकार इस गीत से सबक ले सकते
हैं-तेज आवाजों का उपयुक्त प्रयोग कैसे करें. वैसे ये काम रहमान
कुछ हद तक बखूबी कर रहे हैं. उनके संगीत में दूसरों की तुलना
में शोर कम सुनाई देता है.हम २०१० तक के संगीत की बात कर
रहे हैं इधर.
गीत लगभग खैय्याम की धुन ‘ए-दिल-ए-नादान’ की श्रेणी का है
और आप इसे आसानी से टाइमलेस सोंग कह सकते हैं. इसे आप
किसी भी समय कभी भी सुनेंगे ये आनंद ही देगा. पिछले ३५ साल
से इसे हम निरंतर सुनते चले आ रहे हैं और इसके प्रभाव में ज़रा
भी फर्क नहीं आया.
गीत का फिल्मांकन काफी बुद्धिमता से किया गया है. संगीत के सुर
के मुताबिक़ दृश्यावली साथ साथ चलती है बिना कंटिन्यूटि को डिस्टर्ब
किये. गाने में नायक नायिका की ओर्गेनिक, इनोर्गैनिक जितनी भी
तरह की केमिस्ट्री है सब अपने शत-प्रतिशत पर है और इसे आप हिंदी
सिनेमा इतिहास के सबसे प्रभावशाली और सहज लगने वाले प्रणय
दृश्यों में से एक मान लें. वैसे कभी कभी मुझे लगता है जैसे ये
गीत फिल्म कभी कभी के गीतों का एक्सटेंशन हो. इस गीत को
लगभग ४-५ अलग अलग लोकेशंस में फिल्माया गया है जैसा कि
इसे देखने के बाद मैंने महसूस किये. दावे से कोई फिल्म यूनिट
का सदस्य ही बतला सकता है इसके बारे में.
गीत एक एक गीत ‘देखा एक ख्वाब’ का फिल्मांकन हौलैंड के
प्रसिद्ध क्यूकेनहौफ़ ट्यूलिप गार्डन में किया गया था. यश चोपड़ा
वैसे भी हरे भरे लोकेशंस में फिल्म का फिल्मांकन करने के लिए
प्रसिद्ध थे.
गीत के बोल:
मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं
तुम होती तो कैसा होता तुम होती तो वैसा होता तुम वो कहतीं
तुम इस बात पे हैरान होतीं तुम उस बाते पे कितनी हँसती
तुम होती तो ऐसा होता तुम होती तो वैसा होता
मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं
रु रु रु रु रु ..............
ये कहाँ आ गए हम यूँ ही साथ चलते चलते
तेरी बाहों में है जानम मेरे जिस्म-ओ-जान पिघलते
तेरी बाहों में है जानम मेरे जिस्म-ओ-जान पिघलते
ये रात है या तुम्हारी जुल्फें खुली हुई हैं
ये चांदनी है या तुम्हारी नज़रों से मेरी रातें धुली हुई हैं
ये चाँद है या तुम्हारा कंगन सितारे हैं या तुम्हारा आँचल
हवा का झोंका है या तुम्हारे बदन की खुशबू
ये पत्तियों की है सरसराहट के तुमने चुपके से कुछ कहा
ये सोचता हूँ मैं कब से गुमसुम
कि जब कि मुझको भी ये खबर है
कि तुम नहीं हो कहीं नहीं हो
मगर ये दिल कह रहा है तुम यहीं हो यहीं कहीं हो
तू बदन है मैं हूँ साया तू न हो तो मैं कहाँ हूँ
मुझे प्यार करने वाले तू जहाँ है मैं वहाँ हूँ
हमें मिलना ही था हमदम इसी राह पे निकलते
ये कहाँ आ गए हम यूँ ही साथ चलते चलते
मेरी सांस सांस महके कोई भीना भीना चन्दन
तेरा प्यार चांदनी है मेरा दिल है जैसे आँगन
हुई और भी मुलायम मेरी शाम ढलते ढलते
हुई और भी मुलायम मेरी शाम ढलते ढलते
ये कहाँ आ गए हम यूँ ही साथ चलते चलते
मजबूर ये हालात इधर भी हैं उधर भी
ताभायी की ये रात इधर भी है उधर भी
कहने को बहुत कुछ है मगर किस से कहें हम
कब तक यूंही खामोश रहें और सहें हम
दिल कहता है दुनिया के हर इक रस्म उठा दें
दीवार जो हम दोनों में है आज गिरा दें
क्यूँ दिल में सुलगते रहें लोगों को बता दें
हाँ हमको मोहब्बत है, मोहब्बत है, मोहब्बत है
अब दिल में यही बात इधर भी है उधर भी
ये कहाँ आ गए हम यूँ ही साथ चलते चलते
ये कहाँ आ गए हम
ये कहाँ आ गए हम
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Ye kahan aa gaye ham-Silsila 1981
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