जाना ना दिल से दूर-आरजू १९५०
हैं लता मंगेशकर का गाया एक मधुर गीत फिल्म आरजू
से जो सन १९५० वाली आरजू है. फिल्म में दिलीप कुमार
और कामिनी कौशल प्रमुख कलाकार हैं.
अनिल बिश्वास के संगीत के बारे में हम चर्चा करते रहे
हैं. उन्होंने पारंपरिक संगीत के साथ साथ अपनी कल्पना
जोड़ कर कुछ दिव्या धुनें हमें सुनने को दीं. फिल्म संगीत
में उनका नाम आदर से लिया जाता है तो फ़िल्मी क्षेत्र के
बाहर भी उनका योगदान सराहा जाता है.
युवा कामिनी कौशल को देखना अनूठा अनुभव होगा आज
की पीढ़ी के लिए. मजरूह सुल्तानपुरी ने इस गीत को लिखा
है. छोटी छोटी पंक्तियों वाले गीत पचास के दशक तक काफी
सुनने को मिला करते थे. आगे के युग में गीत भी ग्राम से
किलोग्राम में तब्दील होते चले.
गीत के बोल:
जाना न दिल से दूर
आँखों से दूर जा के
जाना न दिल से दूर
आँखों से दूर जा के
नाज़ुक बहुत है देखो
नाज़ुक बहुत है देखो
दिल हो न गम से चूर
आँखों से दूर जा के
फुरकत के राज़ सहना
और मुंह से कुछ ना कहना
फुरकत के राज़ सहना
और मुंह से कुछ ना कहना
बिछड़े हैं आज हम तुम
बिछड़े हैं आज हम तुम
मिलना है फिर ज़रूर
आँखों से दूर जा के
उल्फत को तुम निभाना
मुझसे ना रूठ जाना
मुझसे ना रूठ जाना
उल्फत को तुम निभाना
मुझसे ना रूठ जाना
मुझसे ना रूठ जाना
ज़ालिम है ये ज़माना
ज़ालिम है ये ज़माना
दिल तो है बेक़सूर
आँखों से दूर जा के
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Jaana na dil se door-Arzoo 1950
Artist-Kamini Kaushal
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