जब दीप जले आना-चितचोर १९७६
है चितचोर. इस फिल्म के येसुदास के गाये दो गीत बहुत
लोकप्रिय हुए थे. प्रस्तुत गीत भी एक बेहद लोकप्रिय गीत
है जिसे आज भी आप सुन सकते हैं रेडियो पर.
गीत संगीत रवीन्द्र जैन का है. येसुदास संग हेमलता गा
रही हैं. येसुदास सिद्धहस्त मंजे हुए गायक हैं और दोनों
गायकों की क्वालिटी में अंतर आप महसूस कर सकते हैं.
ऊंचे स्केल पर गाने में हेमलता को दिक्कत आई होगी
इस गीत में ज़रूर. गान में एक अनूठी साहित्यिक टर्म भी
मौजूद है-प्रीत का काजल.
गीत के बोल:
जब दीप जले आना
जब शाम ढले आना
जब दीप जले आना
जब शाम ढले आना
संकेत मिलन का भूल न जाना
मेरा प्यार ना बिसराना
जब दीप जले आना
जब शाम ढले आना
मैं पलकन डगर बुहारूंगा
तेरी राह निहारूंगा
मैं पलकन डगर बुहारूंगा
तेरी राह निहारूंगा
मेरी प्रीत का काजल
तुम अपने नैनों में मले आना
जब दीप जले आना
जब शाम ढले आना
जहाँ पहली बार मिले थे हम
जिस जगह से संग चले थे हम
जहाँ पहली बार मिले थे हम
जिस जगह से संग चले थे हम
नदियां के किनारे आज
उसी अमवा के तले आना
जब दीप जले आना
जब शाम ढले आना
ऩि रे गा, रे गा
मा गा रे स स ऩि,
प प म, रे ग, स नि
स ग प म प
नित सांझ सवेरे मिलते हैं
उन्हें देख के तारे खिलते हैं
नित सांझ सवेरे मिलते हैं
उन्हें देख के तारे खिलते हैं
नित सांझ सवेरे मिलते हैं
उन्हें देख के तारे खिलते हैं
लेते हैं विदा एक दूजे से
कहते हैं चले आना
जब दीप जले आना
जब शाम ढले आना
संकेत मिलन का भूल न जाना
मेरा प्यार ना बिसराना
जब दीप जले आना
जब शाम ढले आना
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Jab deep jale aana-Chitchor 1976
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