ए खुदा हर फ़ैसला-अब्दुल्ला १९८०
जिंदगी एक हादसा है, और कैसा हादसा
मौत से भी ख़त्म जिसका सिलसिला होता नहीं
आदमी ता-उम्र सपने बुनने में और उनको हकीकत में बदलने
के सिलसिले में उलझा रहता है. उम्र के एक पढाव पर उसे ये
अहसास होने लगता है कि कारवां कहाँ तक पहुंचेगा या थमेगा.
फिर भी, कुछ अनजाना सा और छुपा हुआ होता है जो समय पर
घटित होता या उजागर होता है. शब्द कुछ भी फिट कर लें इस
फिलोसफी में जैसे समयचक्र, प्रारब्ध, कर्म, संयोग और नियति,
जिंदगी का प्रवाह चालू रहता है. कभी लगता है व्यक्ति ने स्वयं
कुछ योजना बना के कुछ प्राप्त किया, कभी लगता है हर चीज़
स्वतः हो रही है, यहाँ तक कि योजना भी और मस्तिष्क में
आने वाले विचार भी.
सुनते हैं फिल्म अब्दुल्ला से एक गीत जिसे किशोर कुमार
का गाया हुआ. इसे लिखा हाई आनंद बक्षी ने और धुन बनाई
है राहुल देव बर्मन ने.
गीत के बोल:
ए खुदा हर फ़ैसला तेरा मुझे मंजूर है
ए खुदा हर फ़ैसला तेरा मुझे मंजूर है
सामने तेरे तेरा बंदा बहुत मजबूर है
ए खुदा हर फ़ैसला तेरा मुझे मंजूर है
सामने तेरे तेरा बंदा बहुत मजबूर है
हर दुआ मेरी किसी दीवार से टकरा गयी
हर दुआ मेरी किसी दीवार से टकरा गयी
बेअसर होकर मेरी फ़रियाद वापस आ गयी
इस ज़मीन से आसमां शायद बहुत ही दूर है
सामने तेरे तेरा बंदा बहुत मजबूर है
एक गुल से तो उजड़ जाते नहीं फूलों के बाग
एक गुल से तो उजड़ जाते नहीं फूलों के बाग
क्या हुआ तूने बुझा डाला मेरे घर का चिराग
कम नहीं है रोशनी हर शय में तेरा नूर है
सामने तेरे तेरा बंदा बहुत मजबूर है
ए खुदा हर फ़ैसला तेरा मुझे मंजूर है
सामने तेरे तेरा बंदा बहुत मजबूर है
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Ae Khuda ar faisla tera-Abdullah 1980
Artist-Sanjay Khan
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