मस्त हो के ज़रा झूम ले-चंद्रकांता १९५६
भारत भूषण और बीना रॉय. फिल्म में काफी सारे गीत हैं उन
गीतों में से सबसे लोकप्रिय आप पहले सुन चुके हैं २०१० में .
आज सुनते हैं आशा भोंसले का गाया एक गीत. सारे गीत सुनेंगे
इस फिल्म के क्यूंकि साहिर के लिखे गीत हैं और हर गीत में
कुछ विशेष अवश्य है, जैसे इस गीत में ही सन्देश है अब आप
इसे व्यंग्य समझें या नसीहत ये आपके ऊपर है.
जी पी सिप्पी ने अदल-ए-जहाँगीर से निर्देशन शुरू किया था
जिसमें हुस्नलाल भगतराम का संगीत है. उसके बाद उन्होंने
लगातार ५ फिल्मों में सं १९५९ तक एन दत्ता की सेवाएं लीं.
जी पी सिप्पी का पूरा नाम है गोपालदास परमानन्द सिप्पी
बतौर निर्माता तो उन्होंने कई सफल फ़िल्में दीं मगर निर्देशक
के तौर पर उनको ज्यादा चर्चा नहीं मिली. शोले और १९७२
की सीता और गीता उनकी सबसे सफल और उल्लेखनीय
फ़िल्में हैं जिनका निर्देशन उनके पुत्र रमेश सिप्पी ने किया..
मस्त हो के ज़रा झूम ले
मस्त हो के ज़रा झूम ले
हुस्न की वादियों में घूम ले
हैं ये मस्तियों के दिन
प्यार की घड़ियाँ न गिन
झूम ले झूम ले झूम ले झूम ले
मस्त हो के ज़रा झूम ले
सारे नज़ारे तेरे हैं
हम तो क्या चाँद तारे तेरे हैं
सारे नज़ारे तेरे हैं
हम तो क्या चाँद तारे तेरे हैं
धरती की कलियाँ अम्बर के मोती
सारे के सारे तेरे हैं
धरती की कलियाँ अम्बर के मोती
सारे के सारे तेरे हैं
हैं ये मस्तियों के दिन
प्यार की घड़ियाँ न गिन
झूम ले झूम ले झूम ले झूम ले
मस्त हो के ज़रा झूम ले
बाहें कड़ी हैं पसारे
तेरे दर पे हजारों बहारें
बाहें कड़ी हैं पसारे
तेरे दर पे हजारों बहारें
हो बढती उमंगें चढती तरंगें
रह रह के तुझको पुकारें
हो बढती उमंगें चढती तरंगें
रह रह के तुझको पुकारें
हैं ये मस्तियों के दिन
प्यार की घड़ियाँ न गिन
झूम ले झूम ले झूम ले झूम ले
मस्त हो के ज़रा झूम ले
हैं ये मस्तियों के दिन
प्यार की घड़ियाँ न गिन
झूम ले झूम ले झूम ले झूम ले
मस्त हो के ज़रा झूम ले
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Mast ho ke zara jhoom le-Chandrakanta 1956
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