Jun 14, 2016

शहनाई बजे ना बजे-शोर १९७२

आज एक ऐसा गीत सुनते हैं जो अपनी विशिष्ट किस्म की
आवाज़ के लिए जाना जाता है.

पहले ऐसे गीतों को विचित्र ध्वनि वाला कहा जाता था.
समय के साथ परिभाषाएं बदल गयी हैं. आज ये सामान्य
सा लगता है. ‘आह हूँ हूँ आह हूँ हूँ ‘ये अवश्य किसी से
सुन कर गीत में डाला गया है.  ज्यादा प्रकाश इस मामले
में संगीतकार ही डाल सकते हैं. गीत है फिल्म शोर का
जिसे लता ने गाया है और इसे जया भादुड़ी पर फिल्माया
गया है. जाया भादुड़ी के अभिनय कौशल के सारे रंग इस
गीत में दिख जायेंगे आपको. शरारत, अल्हडपन, चंचलता
और गंभीरता सभी बातों का मिश्रण उचित अनुपात में.




गीत के बोल:


गगन पे दो तारे टकराए टकरा कर दोनों मुस्काए
चाँद ने सुन ली थी उनकी बात जा बैठा बादल के साथ
सुन बादल ने ली अंगडाई बूँद बूँद ने बात फैलाई
गगन की बात धरती पे आई कली ने सुन ली सुनी सुनाई
कली ने फूल को भेद बताया फूल ने बुलबुल को समझाया
बुलबुल ने भंवरा बुलवाया भंवरा गुनगुन करता आया
मैंने रोक के उसे सुनाया सुनाया सुनाया

बन के दुल्हनिया आज चली हूँ मैं साजन के द्वारे
शहनाई बजे ना बजे, शहनाई बजे ना बजे
शहनाई बजे ना बजे
बन के दुल्हनिया आज चली हूँ मैं साजन के द्वारे
शहनाई बजे ना बजे, शहनाई बजे ना बजे

ना कोई मुझको कजरा डाले ना कोई मांग संवारे
ना कोई मुझको कजरा डाले ना कोई मांग संवारे
न चाहूँ मैं बाहे गाजे ना मैं ढोल नगाड़े
ना कोई मेरी राहें रोके ना कोई मुझे पुकारे
बन के दुल्हनिया आज चली हूँ मैं साजन के द्वारे
शहनाई बजे ना बजे, शहनाई बजे ना बजे
शहनाई बजे ना बजे

मुंडा मने ना मने घोड़ी सजे न सजे
हो मुंडा मने ना मने घोड़ी सजे न सजे
हो डोली उठे न उठे मेहँदी लगे न लगे
ना मैं चाहूँ बिंदिया शिन्दिया ना मैं तारे शारे
कल तक थे जो गुस्से सुस्से हो गए जान से प्यारे
बन के दुल्हनिया आज चली हूँ मैं साजन के द्वारे
शहनाई बजे ना बजे, शहनाई बजे ना बजे
शहनाई बजे ना बजे
बन के दुल्हनिया आज चली हूँ मैं साजन के द्वारे
शहनाई बजे ना बजे, शहनाई बजे ना बजे
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Ban ke dulhaniya….shehnai baje na baje-Shor 1972

Artist-Jaya Bhaduri

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