Jul 17, 2016

बेदर्द ज़माने क्या तेरी-लाहौर १९४९

आज एक गीत सुनते हैं श्याम सुन्दर के संगीत निर्देशन में
बना हुआ. गीत है फिल्म लाहौर से जिसे राजेंद्र कृष्ण ने लिखा
और परदे पर नर्गिस पर फिल्माया गया.

फिल्म लाहौर के दो गीत बेहद प्रसिद्ध हैं-बहारें फिर भी आएँगी
और दुनिया हमारे प्यार की. फिल्म लाहौर का निर्देशन किया
था एम् एल आनंद ने

१९४७ का विभाजन और उसके बाद की त्रासदियों पर आधारित है
फिल्म का कथानक. विभाजन पर बनी पहले पहल फिल्मों में से
शायद ये एक है. फिल्म में करण दीवान, नर्गिस. ओमप्रकाश,
बालकराम, राम अवतार और प्रतिमा देवी प्रमुख कलाकार हैं.



गीत के बोल:

उस दिल की क़िस्मत क्या कहिये
उस दिल की क़िस्मत क्या कहिये
जिस दिल का सहारा कोई नहीं

बेदर्द ज़माने क्या तेरी
बेदर्द ज़माने क्या तेरी
महफ़िल में हमारा कोई नहीं
बेदर्द ज़माने क्या तेरी
महफ़िल में हमारा कोई नहीं
बेदर्द ज़माने

इस ग़म की रात के आँचल में
वैसे तो हज़ारों तारे हैं
वैसे तो हज़ारों तारे हैं
वैसे तो हज़ारों तारे हैं
बन जाये जो आस मुसाफ़िर की
बन जाये जो आस मुसाफ़िर की
ऐसा ही सितारा कोई नहीं

बेदर्द ज़माने क्या तेरी
महफ़िल में हमारा कोई नहीं
बेदर्द ज़माने

उल्फ़त के चमन में ए नादां
उल्फ़त के चमन में ए नादां
क्यूँ ढूँढ रहा है कलियों को
यहाँ ग़म के काँटे चुभते हैं
यहाँ ग़म के काँटे उठते हैं
फूलों का नज़ारा कोई नहीं

बेदर्द ज़माने क्या तेरी
महफ़िल में हमारा कोई नहीं
बेदर्द ज़माने
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Bedard zamane kya teri-Lahore 1949

Artist: Nargis

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