भगवान दो घड़ी जरा-बहार १९५१
में जो प्रमुख हैं उन सभी ने कभी न कभी एक आध गीत
शिकायत वाला लिखा है. भरत व्यास की लेखनी वाला
एक गीत हम पहले सुन चुके हैं. आइये सुनें राजेंद्र कृष्ण
द्वारा रचित एक गीत जो फिल्म बहार से है. इसे गीता दत्त
ने गाया है. संगीतकार सचिन देव बर्मन हैं.
जब तकलीफें हद से ज्यादा बढ़ जाती हैं और कुछ रास्ता
नहीं सूझता तब ऐसे उदगार मन से निकलते हैं.
गीत के बोल:
भगवान दो घड़ी जरा इंसान बन के देख
धरती पे चार दिन कभी मेहमान बन के देख
मेहमान बनके देख
ओ ओ ओ
है जिनको तेरी याद कभी उनकी ले खबर
कभी उनकी ले खबर
आसमान वाले कभी गरीबों पे कर नज़र
गरीबों पे कर नज़र
दिल में किसी गरीब के अरमान बन के देख
धरती पे चार दिन कभी मेहमान बन के देख
ओ ओ ओ
जो कुछ भी हो रहा है वो तेरी नज़र में है
तेरी नज़र में है
आ देख मेरी आस की नैया भंवर में है
नैया भंवर में है
सब जानते हुए भी ना अनजान बन के देख
धरती पे चार दिन कभी मेहमान बन के देख
ओ ओ ओ
तुझ को खबर नहीं कोई कितना निराश है
कितना निराश है
तिनके की डूबते को मालिक तलाश है
मालिक तलाश है
इनसान बन सके ना तो भगवान बन के देख
धरती पे चार दिन कभी मेहमान बन के देख
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Bhagwan do ghadi-bahar 1951
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