बूँद बूँद-रॉय २०१५
टपक सकती हैं, जैसे किसी की भावनाएं. बच्चों की नाक
भी खूबसूरत तरीके से बूँद बूँद टपका करती है. सरकारी
नल बंद होने के बाद ज्यादा टपका करते हैं.
बूँद बूँद किसी का टपकना अच्छा कंसेप्ट है. आजकल के
लेखन में भिन्नता है. जो कुछ पहले के फ़िल्मी गीतकार
नहीं लिख पाए वो सब आज लिखा जा रहा है. उन्मुक्त
और स्वछन्द शैली है लेखन की.
खूबसूरत गीत लिखा है अभेन्द्र कुमार उपाध्याय ने और
गीत की तर्ज़ बनायीं है गुणी संगीतकार अंकित तिवारी
ने. वे अपनी पीढ़ी के एक प्रतिभाशाली युवक हैं जो कि
हर प्रकार का संगीत देने में समर्थ हैं.
आजकल के संगीतकारों में खुद गाने का चलन काफी है
और इस मामले में अंकित दूसरों से थोडा आगे हैं. वे
काफी गायकों का काम खुद कर लेते हैं.
वीडियो के नीचे किसी ने कमेन्ट लिखा कि ये गीत लाना
डेल रे के गीत ब्लू जींस से मिलता जुलता है. आप ही
पता लगाइए सुन के. मिलता जुलता का मतलब प्रेरित
होना होता है. नोट टू नोट कोपी अलग चीज़ होती है.
गीत के बोल:
बूँद बूँद कर के मुझमें गिरना तेरा
और मुझमें मुझसे ज़्यादा होना तेरा
भीगा भीगा सा मुझको तन तेरा लगे
आ जा तुझको पी लूँ मन मेरा कहे
मैं ना बचा मुझमें थोड़ा सा भी
देख तू ना बचा तुझमें भी
जलने लगा गर्म साँसों से मैं
तू पिघलने लगा मुझमें ही
क़तरा क़तरा मैं जलूँ शर्म से तेरे मिलूं
जिस्म तेरा मोम का पिघला दूँ
करवटें भी तंग हो रात भर तू संग हो
तेरे हर एक अंग को सुलगा दूँ
भीगा भीगा सा मुझको तन तेरा लगे
आ जा तुझको पी लूँ मन मेरा कहे
होने दे कुछ गलतियाँ रेंगती ये उँगलियाँ
जिस्म के तू दरमियां ठहरा दे
लम्हा कोई गरम तू या उबलती बर्फ तू
मुझपे हो जा खर्च तू यूँ आ के
भीगा भीगा सा मुझको तन तेरा लगे
आ जा तुझको पी लूँ मन मेरा कहे
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Boond boond-Roy 2015
Artists: Arjun Rampal, Jacqueline Fernandez
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