दिया तो जले बस एक ही रात-तीसरा किनारा १९८६
और स्मिता पाटिल ने पति पत्नी की भूमिका निभाई. इनमें से
अधिकांश का कथानक कुछ यूँ था की उनमें दोनों को बिछडना
पढता था. शायद संयोगवश उन्हें ऐसी कहानियां ज्यादा मिलीं.
उनकी अभिनय-केमिस्ट्री ज़बरदस्त रही फिल्मों में. आगे चल के
वे वास्तविकता में पति-पत्नी हो गए. लेकिन सुखद दांपत्य का
अंतराल ज्यादा नहीं रहा और स्मिता पाटिल इस नश्वर संसार से
कूच कर गईं. रह गया उनका पुत्र जिसके प्रसव के समय की
पेचीदगियों के चलते ये घटना घटी. चुनाव करना था-किसे बचाया
जाए. स्मिता ने पुत्र को बचाने का चुनाव करते हुए अपना सर्वोच्च
त्याग किया जो माता अपने पुत्र के लिए कर सकती है. इस
घटना ने फिल्म संसार से मगर एक बेहद प्रतिभाशाली कलाकार
को सदा के लिए दूर कर दिया. उनके प्रशंसकों के लिए बच गईं
तो बस उनकी यादें .
अजीब घटनाक्रम था वो. मैंने एक फिल्म देखी-भीगी पलकें . इस
फिल्म को देखने के बाद मन में कमसे कम ७ दिन उथल पुथल
होती रही. फील गुड से बाहर लाने में जिन फिल्मों की भूमिका
रही मेरे जीवन में उनमें प्रमुख हैं-कागज के फूल, गाईड, एक दूजे
के लिए और भीगी पलकें. ऐसी फ़िल्में देख के इस दुनिया का दूसरा
पहलू समझने में मदद मिली. अगर सुख है तो दुःख भी है, उजियारा
है तो अँधेरा भी है, पुण्य हैं तो पाप भी हैं. दरअसल हमारे अवचेतन
में जो एक फ़िल्मी कोना है उसे फिल्मों को सुखान्त देखने की
आदत हो गयी है. थोडा भी कथानक का अटपटापन मन आसानी
से पचा नहीं पाता है.
फिल्म जगत एक चकाचौंध वाली दुनिया है. उसके सितारों को कब
हम अपना आदर्श बना लेते हैं पता ही नहीं चलता. दीवानेपन की
हद पार करके कईयों को आपने कलाकारों के डुप्लिकेट रूप में देखा
होगा. कई फिल्म दीवाने कलाकारों के भाव भाव को अपने जीवन
में इतना उतार लेते हैं कि ताउम्र उससे उबार नहीं पाते.
इस गीत को लिखा है अनजान ने और इसकी तर्ज़ श्याम सागर ने
बनाई है. अनुराधा पौडवाल ने इस गीत को अच्छा गाया है.
गीत के बोल:
दिया तो जले बस एक रात
मैं तो हर पल दिन रात जली
दिन रात जली
दिन रात जली
दिया तो जले बस एक रात
मैं तो हर पल दिन रात जली
दिन रात जली
दिन रात जली
एक पल जो आये हँसती बहारें
काँटों से आँचल भर गईं, हो ओ
सावन जो छाया बरसी फुहारें
तन मन वो घायल कर गईं
जिसके सहारे दिन ये गुज़ारे
सजना वो निकला क्यूँ छली
दिया तो जले बस एक रात
मैं तो हर पल दिन रात जली
दिन रात जली
दिन रात जली
चलना तो होगा, जलना तो होगा
यूँ ही अकेले अब यहाँ, हो हो
मैं इस किनारे वो उस किनारे
तीसरा किनारा है कहाँ
राहें अँधेरी तकदीर मेरी
मुझको कहाँ है ले चली
दिया तो जले बस एक रात
मैं तो हर पल दिन रात जली
दिन रात जली
दिन रात जली
दिन रात जली
दिन रात जली
दिन रात जली
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Diya to jale-Teesra Kinara 1986
Artists-Smita Patil
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