एक बंजारा गाए-जीने की राह १९६९
गिने जाते हैं. आप फिल्म से दो गीत सुन चुके हैं. आज तीसरा
गीत सुनवाते हैं आपको. रफ़ी का गाया ये गीत परदे पर जीतेंद्र
गा रहे हैं.
गीत प्रेरणादायी है विशेषकर इसका दूसरा अन्तरा. जीवन का सार
है उसमें.
गीत के बोल:
सुनो एक तराना नया एक फ़साना
के आंगन में मेरे सवेरे सवेरे
एक बंजारा गाए जीवन के गीत सुनाए
हम सब जीने वालों को जीने की राह बताए
एक बंजारा गाए हो ओ
एक बंजारा गाए जीवन के गीत सुनाए
हम सब जीने वालों को जीने की राह बताए
एक बंजारा गाए हो ओ ओ
ज़माने वालो किताब-ए-ग़म में
खुशी का कोई फ़साना ढूँढो
ज़माने वालो किताब-ए-ग़म में
खुशी का कोई फ़साना ढूँढो
अगर जीना है ज़माने में तो
हंसी का कोई बहाना ढूंढो
हो ओ ओ ओ ओ
आँखों में आँसू भी आए
तो आ कर मुस्काए
एक बंजारा गाए जीवन के गीत सुनाए
हम सब जीने वालों को जीने की राह बताए
एक बंजारा गाए हो ओ ओ
सभी को देखो नहीं होता है
नसीबा रौशन सितारों जैसा
सभी को देखो नहीं होता है
नसीबा रौशन सितारों जैसा
सयाना वो है जो पतझड़ में भी
सजा ले गुलशन बहारों जैसा
हो ओ ओ ओ ओ
कागज़ के फूलों को भी
जो महका कर दिखलाए
एक बंजारा गाए जीवन के गीत सुनाए
हम सब जीने वालों को जीने की राह बताए
एक बंजारा गाए हो ओ ओ
हो ओ ओ हो ओ ओ
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Ek banjara gaaye-Jeene ki raah 1969
Jeetendra, Tanuja
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