मुझे तुमसे कुछ भी न चाहिये-कन्हैया १९५९
ये सैड सॉंग काफी फेमस है. हिंगलिश फ़िल्में देख देख के और
उनके अर्ध-अंग्रेजी अर्ध हिंदी बोलों को सुनते सुनते थोड़े कीटाणु
हमारे दिमाग में भी घुस गए हैं. पिछली कुछ पोस्ट में आपने
देखा होगा अंग्रेजी के शब्द आलेख में प्रविष्ट होने लगे हैं. टाइम
की डिमांड का ध्यान रखना बहुत नैसेसरी है.
प्रस्तुत गीत शैलेन्द्र ने लिखा है और इसकी धुन शंकर जयकिशन
द्वारा निर्मित है. मुकेश इसे गा रहे हैं राज कपूर के लिए. बढ़िया
सितार और सरोद के टुकड़ों से गीत शुरू होता है.
गीत के बोल:
मुझे तुमसे कुछ भी न चाहिये
मुझे मेरे हाल पे छोड़ दो
मुझे मेरे हाल पे छोड़ दो
मेरा दिल अगर कोई दिल न था
उसे मेरे सामने तोड़ दो
उसे मेरे सामने तोड़ दो
मुझे तुमसे कुछ भी न चाहिये
मैं ये भूल जाऊँगा ज़िंदगी
कभी मुस्कुराई थी प्यार में
मैं ये भूल जाऊँगा ज़िंदगी
कभी मुस्कुराई थी प्यार में
मैं ये भूल जाऊँगा मेरा दिल
कभी खिल उठा था बहार में
जिन्हें इस जहाँ ने भुला दिया
मेरा नाम उन में ही जोड़ दो
मेरा नाम उन में ही जोड़ दो
मुझे तुमसे कुछ भी न चाहिये
मुझे मेरे हाल पे छोड़ दो
मुझे मेरे हाल पे छोड़ दो
मुझे तुमसे कुछ भी न चाहिये
तुम्हें अपना कहने की चाह में
कभी हो सके न किसी के हम
तुम्हें अपना कहने की चाह में
कभी हो सके न किसी के हम
यही दर्द मेरे जिगर में है
मुझे मार डालेगा बस ये ग़म
मैं वो गुल हूँ जो न खिला कभी
मुझे क्यूँ न शाख़ से तोड़ दो
मुझे क्यूँ न शाख़ से तोड़ दो
मुझे तुमसे कुछ भी न चाहिये
मुझे मेरे हाल पे छोड़ दो
मुझे मेरे हाल पे छोड़ दो
मुझे तुमसे कुछ भी न चाहिये
..............................................................................
Mujhe tumse kuchh bhi naa chahiye-Kanhaiya 1959
Artists:Raj Kapoor, Nutan
0 comments:
Post a Comment