समुन्दर समुन्दर-बारूद १९७६
गीत जिसमें गायक गायिका संवाद भी बोला करते हैं. प्रस्तुत
गीत में “यहाँ तक” शब्दों का प्रयोग है. प्रश्नोत्तर जैसा गीत है
जिसमें नायिका को उत्तर का इंतज़ार है. शोमा आनंद नायिका
हैं इस गीत में जिन्होंने अभिनय में झंडे नहीं गाडे मगर इस
गीत में वे अपने अनुभव के आधार और निर्देशक के निर्देशों
पर जितना भी कर पा रही हैं वो सराहनीय है. गीत आकर्षक
बन पड़ा है.
कैद नायिका युक्ति ढूंढ रही है चंगुल से छूटने की. गीत के
अंत तक आपको समझ आ जायेगा वो कहाँ तक कामयाब हुई.
गीत आनंद बक्षी ने लिखा है और संगीत है एस डी बर्मन का.
इस गीत को विशेष धन्यवाद है उसके पीछे कुछ पुरानी यादें
हैं. फिल्म शोर के एक गीत में हमने समझा-मोजों की रवानी.
अब मोज़े और रवानी का संगम हमारी समझ नहीं आया था.
इस गीत के आने के बाद हमें आसानी से समझ आया-मोजों
की चादर. सूखते मोजों की कतार. उर्दू भाषा के जानकार जब
मिले तब जा कर फंडा क्लीयर हुआ और ‘मौजों’ का सही अर्थ
समझ आया.
गीत के बोल:
समुन्दर समुन्दर यहाँ से वहाँ तक
ये मौजों की चादर बिछी आस्माँ तक
मेरे मेहरबाँ मेरी हद है कहाँ तक
यहाँ तक यहाँ तक यहाँ तक
समुन्दर समुन्दर यहाँ से वहाँ तक
ये मौजों की चादर बिछी आस्माँ तक
मेरे मेहरबाँ मेरी हद है कहाँ तक
यहाँ तक तो यहाँ तक अच्छा यहाँ तक
मैं करती हूँ वादा उठाती हूँ क़समें
ये बुलबुल रहेगी सदा तेरे बस में
मैं करती हूँ वादा उठाती हूँ क़समें
ये बुलबुल रहेगी सदा तेरे बस में
मुझे क़ैद करते हो क्यों इस तपस में
मैं उड़कर भी जाऊँगी आख़िर कहाँ तक
ये मौजों की चादर बिछी आस्माँ तक
मेरे मेहरबाँ मेरी हद है कहाँ तक
यहाँ तक बोलो यहाँ तक यहाँ तक
मोहब्बत से ये कह रही है जवानी
सितम हो चुके अब करो मेहरबानी
मोहब्बत से ये कह रही है जवानी
सितम हो चुके अब करो मेहरबानी
किसी प्यार की कोई छेड़ो कहानी
चली आई है बात दिल की ज़ुबाँ तक
ये मौजों की चादर बिछी आस्मां तक
मेरे मेहरबां मेरी हद है कहाँ तक
यहाँ तक यहाँ तक यहाँ तक
समुन्दर समुन्दर यहाँ से वहाँ तक
ये मौजों की चादर बिछी आस्माँ तक
मेरे मेहरबाँ मेरी हद है कहाँ तक
अच्छा यहाँ तक यहाँ तक यहाँ तक
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Samundar samundar-Barood 1976
Artists: Shoma Anand, Rishi Kapoor
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