मैं तेरे प्यार में पागल-प्रेम बंधन १९७९
हजम नहीं होता. पिछले कुछ दिनों काफी सारे अर्ध विकसित, अर्ध
मूर्छित किस्म के गीतों से पाला पड़ा और बदहजमी सी हो गयी.
कल ही एक बात पर चर्चा शुरू हुई जो तथ्य और जानकारी के
अभाव में स्थगित कर दी गयी-प्रेम की खोज किसने की? एक
जवाब मिला सूरज बडजात्या ने. पूछा गया कैसे-जवाब मिला-फिल्म
मैंने प्यार किया के बाद से प्रेम नाम चलन में आया. अब इस
सामान्य ज्ञान के आगे हमें भी नतमस्तक होना पड़ा. उसके बाद
हमें वे सब-प्रेम क्लॉथ स्टोर, प्रेम पटाखा भण्डार, प्रेम बर्तन भण्डार,
प्रेम लस्सी कार्नर, प्रेम कोल्डड्रिंक्स इत्यादि याद आना शुरू हो गए.
मैंने भी ये मान लिया ‘बाबाजी का ठुल्लू’ आज के समय की सबसे
बड़ी खोज है. कपिल शर्मा के शो में नहीं होता तो किसी और के शो
में खोजा जाता. काठ के उल्लू का एक्सटेंशन जैसा कुछ है जिसका
अर्थ बहुतों का नहीं मालूम है अभी.
सन २००० के बाद जिस तीव्र गति से हिंदी गानों ने आम जनता को
शिक्षित करना शुरू किया है वो कार्य २००० के पिछले ६१ सालों में
नहीं हो पाया. किस प्रदेश में कौन सी गाली चलन में है, वर्जित और
वर्जनाएं क्या हैं ये सब सुलभ सम्मुख है, यानि आसानी से उपलब्ध है.
मोबाइल आने के बाद वो “कर लो दुनिया मुट्ठी में” वाला स्लोगन
सही साबित हुआ आज के समय में. अब तो २ और २ चार का हल
भी मोबाइल के ज़रिये खोजा जाने लगा है.
गीत के बोल:
मैं तेरे प्यार में पागल ऐसे घूमता हूँ
जैसे मैं कोई प्यासा बादल बरखा को ढूँढता हूँ
मैं तेरे प्यार में पागल ऐसे घूमती हूँ
जैसे मैं कोई प्यासी बदली सावन को ढूंढती हूँ
मैं तेरे प्यार में पागल पागल पागल पागल
जब जब तू छुप जाती है इन फूलों की गलियों में
जब जब तू छुप जाती है इन फूलों की गलियों में
और चटखने लगती है कितनी कलियाँ कलियों में
मैं तेरा पता सभी से ऐसे पूछता हूँ
जैसे मैं कोई भूला राही मंजिल को ढूँढता हूँ
मैं तेरे प्यार में पागल पागल पागल पागल
मेरे चेहरे पे तेरी ठहरी ठहरी दो आँखें आँखें आँखें
मेरे चेहरे पे तेरी ठहरी ठहरी दो आँखें
कितनी गहरी झील है ये झील से गहरी दो आँखें
मैं तेरी इन साँसों में ऐसे डूबती हूँ
जैसे मैं कोई टूटी नैया मांझी को ढूंढती हूँ
मैं तेरे प्यार में पागल पागल पागल पागल
तू हो या ना हो आँखों में रहती तेरी सूरत है
ये मन प्रेम का मंदिर है जिसमें तेरी ये मूरत है
मैं तेरी इस मूरत को ऐसे पूजती हूँ
जैसे मैं कोई व्याकुल राधा मोहन को ढूंढती हूँ
मैं तेरे प्यार में पागल ऐसे घूमता हूँ
जैसे मैं कोई प्यासा बादल
जैसे मैं कोई प्यासा बदली
बरखा को ढूँढता हूँ सावन को ढूंढती हूँ
बरखा को ढूँढता हूँ
....................................................................
Main tere pyar mein pagal-Prem bandhan 1979
Artists:Rajesh Khanna, Mousami Chatterji

0 comments:
Post a Comment