Dec 17, 2016

आज कल में ढल गया-बेटी बेटे १९६४

आवाज़ की खनक कुछ ही लोगों को ईश्वरीय वरदान स्वरुप
प्राप्त होती है और जिन्हें जीवन में ये सौगात मिलती है वे
दूसरों को अपनी वाणी से आनंदित करने का काम किया
करते हैं. गीत मरहम का काम भी किया करते हैं.

वर्तमान समय भूतकाल में परिवर्तित होता चलता है इसलिए
कहा गया है वर्तमान में जियो और भविष्य की चिंता छोडो.
भूतकाल पर रोना सांप निकलने के बाद बनी हुई लकीर पीटने
के सामान है. गीत में एक अजीब कशमकश है मगर आशा
की किरण भी दिखती है.

एक मास्टरपीस सुनते हैं आज फिल्म बेटी बेटे से जिसे रफ़ी
ने गाया है. शैलेन्द्र का लिखा हुआ कालजई गीत है ये जिसे
आज भी आप सुनें वही प्रभाव पैदा कर देता है. संगीतकार
ने संगीत भरने में ज़रा भी कंजूसी नहीं की है इस गीत में.
फिल्म में ये गीत २-३ जगह प्रकट होता है मगर हम बाकी
वर्ज़न फिर कभी सुनेंगे. 




आज कल में ढल गया दिन हुआ तमाम
तू भी सो जा सो गई रंग भरी शाम
आज कल में ढल गया दिन हुआ तमाम
तू भी सो जा सो गई रंग भरी शाम
आज कल में ढल गया

सो गया चमन चमन सो गई कली-कली
सो गए हैं सब नगर सो गई गली-गली
सो गया चमन चमन सो गई कली-कली
सो गए हैं सब नगर सो गई गली-गली
नींद कह रही है चल मेरी बाँह थाम
तू भी सो जा सो गई रंग भरी शाम
आज कल में ढल गया

है बुझा-बुझा सा दिल बोझ साँस-साँस पर
जी रहे हैं फिर भी हम सिर्फ़ कल की आस पर
है बुझा-बुझा सा दिल बोझ साँस-साँस पर
जी रहे हैं फिर भी हम सिर्फ़ कल की आस पर
कह रही है चाँदनी ले के तेरा नाम
तू भी सो जा सो गई रंग भरी शाम
आज कल में ढल गया

कौन आएगा इधर किसकी राह देखें हम
जिनकी आहटें सुनी जाने किसके थे कदम
कौन आएगा इधर किसकी राह देखें हम
जिनकी आहटें सुनी जाने किसके थे कदम
अपना कोई भी नहीं अपने हैं तो राम
तू भी सो जा सो गई रंग भरी शाम
आज कल में ढल गया
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Aaj kal mein dhal gaya-Beti bete 1964

Artists: Sunil Dutt

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