हम तुमसे जुदा हो के-एक सपेरा एक लुटेरा १९६५
कई संगीतकारों की स्टाइल का आनंद मिलता है. रफ़ी का गाया
ये गीत बेहद लोकप्रिय है. गीत के बोल लिखे हैं असद भोपाली ने
जिनकी कलम में भी जादुई गीत रचने की गज़ब क्षमता थी. जैसे
उदाहरण के लिए आप मैंने प्यार किया के गीतों को ले लीजिए.
उनके लिखे कई गीत लोकप्रिय हैं और इस तथ्य पर ज्यादा किसी
का ध्यान नहीं जाता. जो लोकप्रिय हैं वो इतने ज्यादा कि कालांतर
में लोकप्रियता की चरम सीमा पर पहुँच गए.
फिल्म टॉवर हाउस का ‘ऐ मेरे दिल-ऐ-नादान’, फिल्म छैला बाबू का
‘तेरे प्यार ने मुझे गम दिया’, फिल्म पारसमणि के सारे गीत, फिल्म
उस्तादों के उस्ताद का ‘सौ बार जनम लेंगे’. एक नारी दो रूप का
‘दिल का सूना साज़’ इसके अलावा कई उल्लेखनीय गीत हैं उनके,
मगर अधिकांश गीत उन फिल्मों में हैं जिनपर बी ग्रेड या सी ग्रेड का
ठप्पा लगा हुआ है. इन सबके चलते उनको जो लाभ मिलना चाहिए
था वो नहीं मिला.
संगीत उषा खन्ना का है. गीत के शुरू में ५० सेकण्ड का लंबा संगीत
का शानदार टुकड़ा है.
गीत के बोल:
हम तुमसे जुदा हो के
मर जायेंगे रो रो के
हम तुमसे जुदा हो के
मर जायेंगे रो रो के
मर जायेंगे रो रो के
दुनिया बड़ी जालिम है
दिल तोड़ के हँसती है
दुनिया बड़ी जालिम है
दिल तोड़ के हँसती है
एक मौज किनारे से
मिलने को तरसती है
कह दो ना कोई रोके
कह दो ना कोई रोके
हम तुमसे जुदा हो के
मर जायेंगे रो रो के
मर जायेंगे रो रो के
सोचा था कभी दो दिल
मिल कर ना जुदा होंगे
सोचा था कभी दो दिल
मिल कर ना जुदा होंगे
मालूम ना था हम यूँ
नाकाम-ए-वफ़ा होंगे
किस्मत ने दिए धोखे
किस्मत ने दिए धोखे
हम तुमसे जुदा हो के
मर जायेंगे रो रो के
मर जायेंगे रो रो के
वादे नहीं भूलेंगे
कसमें नहीं तोड़ेंगे
वादे नहीं भूलेंगे
कसमें नहीं तोड़ेंगे
ये तय है के हम दोनों
मिलना नहीं छोड़ेंगे
जो रोक सके रोके
जो रोक सके रोके
हम तुमसे जुदा हो के
मर जायेंगे रो रो के
हम तुमसे जुदा हो के
मर जायेंगे रो रो के
मर जायेंगे रो रो के
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Ham tumse juda ho ke-Ek sapera ek lutera 1965
Artist: Feroz Khan
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