मैंने पूछा चाँद से-अब्दुल्लाह १९८१
कुछ इस प्रकार से है-चाँद सितारे करते इशारे, चाँद के पास
जो सितारा है, चाँद जैसे मुखड़े पे, चाँद सा मुखडा, चाँद को
देखो जी, देखो वो चाँद छुप कर करता है क्या इशारे इत्यादि.
चाँद से वार्तालाप कुछ गिनती के गीतों में ही हुआ है. प्रस्तुत
गीत में चाँद ने चांदनी की कसम भी खा ली है. नायिका के
सौंदर्य के वर्णन वाला ये गीत फिल्म अब्दुल्लाह के लिए गाया
है रफ़ी ने.
गीतकार हैं आनंद बक्षी और संगीतकार आर डी बर्मन. फिल्म से
एक गीत आप सुन चुके हैं पहले किशोर की आवाज़ में. नहीं
शब्द का खूबसूरत प्रयोग है गीत की तुकबंदी में.
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गीत के बोल:
मैंने पूछा चाँद से के देखा है कहीं मेरे यार सा हसीं
चाँद ने कहा चाँदनी की कसम नहीं नहीं नहीं
मैंने पूछा चाँद से के देखा है कहीं मेरे यार सा हसीं
चाँद ने कहा चाँदनी की कसम नहीं नहीं नहीं
मैंने ये हिजाब तेरा ढूँढा हर जगह शबाब तेरा ढूँढा
कलियों से मिसाल तेरी पूछी फूलों में जवाब तेरा ढूँढा
मैंने पूछा बाग से फ़लक हो या ज़मीं ऐसा फूल है कहीं
बाग ने कहा हर कली की कसम नहीं नहीं नहीं
मैंने पूछा चाँद से
चाल है के मौज की रवानी ज़ुल्फ़ है के रात की कहानी
होठ हैं के आईने कंवल के आँख है के मयकदों की रानी
मैंने पूछा जाम से फलक हो या ज़मीं ऐसी मय भी है कहीं
जाम ने कहा मयकशी की कसम नहीं नहीं नहीं
मैंने पूछा चाँद से
खूबसूरती जो तूने पाई लूट गयी खुदा की बस खुदाई
मीर की ग़ज़ल कहूँ तुझे मैं या कहूँ ख़याम ही रुबाई
मैं जो पूछूँ शायरों से ऐसा दिलनशी कोई शेर है कहीं
शायर कहे शायरी की कसम नहीं नहीं नहीं
मैंने पूछा चाँद से के देखा है कहीं मेरे यार सा हसीं
चाँद ने कहा चाँदनी की कसम नहीं नहीं नहीं
मैंने पूछा चाँद से
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Maine poochha chand se-Abdullah 1981
Artists: Sanjay Khan, Zeenat Aman
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