Jan 18, 2017

अखियों को रहने दे-बॉबी १९७३

सन १९७३ की फिल्म बॉबी प्रेम नयी पीढ़ी के प्रेम कथानकों की
ट्रेंड सेटर फिल्म जैसी है. इसके नए नायक नायिका ने अभिनय
में झंडे तो नहीं गाडे मगर फिल्म की कहानी में बाकी कलाकारों
के अभिनय के साथ संतुलन बना लिया.फिल्म में प्राण, प्रेमनाथ
अरुणा ईरानी और फरीदा जलाल का अभिनय उम्दा रहा. फिल्म
एक बड़ी हिट फिल्म है अपने समय की.

राज कपूर अगर स्वयं अभिनय और निर्देशन में अपना श्रेष्ठ बाहर
लाते थे तो वे दूसरों से भी उनका श्रेष्ठ निकलवाने का माद्दा रखते
थे. लक्ष्मी प्यारे से उन्होंने काफी मेहनत करवाई और परिणाम
स्वरुप हमें कुछ अच्छी धुनें सुनने को मिलीं.

फिल्म में लता का एक गीत है जो आज भी हमें कहीं कहीं बजता
सुनाई दे जाता है. आनंद बक्षी का लिखा गीत मर्म को भेदने वाला
है.



गीत के बोल:

टूट के दिल के टुकड़े टुकड़े
हो गए मेरे सीने में
आ गले लग के मर जाएं
क्या रखा है जीने में

अँखियों को रहने दे अँखियों के आस पास
अँखियों को रहने दे अँखियों के आस पास
दूर से दिल की बुझती रहे प्यास
अँखियों को रहने दे अँखियों के आस पास
दूर से दिल की बुझती रहे प्यास
अँखियों को रहने दे

दर्द ज़माने में कम नहीं मिलते
दर्द ज़माने में कम नहीं मिलते
सबको मोहब्बत के ग़म नहीं मिलते
टूटने वाले दिल
टूटने वाले दिल होते हैं कुछ खास
दूर से दिल की बुझती रहे प्यास
अँखियों को रहने दे

रह गई दुनिया में नाम की खुशियाँ
रह गई दुनिया में नाम की खुशियाँ
तेरे मेरे किस काम की खुशियाँ
सारी उमर हमको
सारी उमर हमको रहना है यूँ उदास
दूर से दिल की बुझती रहे प्यास

अँखियों को रहने दे अँखियों के आस पास
दूर से दिल की बुझती रहे प्यास
अँखियों को रहने दे
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Ankhiyon ko rehne de-Bobby 1973

Artists: Dimple Kapadia

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