हवा में उड़ता जाये-बरसात १९४९
पूरी तरह से और एक नए युग का सूत्रपात हुआ इस फिल्म की
रिलीज़ के बाद. सन १९५० से १९७० तक के दौर को सुनहरा
दौर कहा जाता है. ज्यादा बारीक कान वाले ५०-६० के दशक को
सबसे अच्छा समय मानते हैं हिंदी फिल्म संगीत का.
अगर सयानों की बात सुनें तो हमारी फिल्मों ने सबसे पहले बोलना
शुरू किया, बातचीत जैसे गाने आये, फिर आया रोतला युग जिसमें
रोतले से गाने सुनाई दिए फिर आया बरसात के बाद का दौर. उस
बरसात में काफी सारे आंसू बह गए. इन्हीं सयानों के हिसाब से ७०
से २००० का दौर शोरगुल वाला युग और उसके बाद का चीखने वाला
युग है. लो साहब हो गया ३ लाइन में हिंदी फिल्म संगीत का
इतिहास.
फिल्म से एक गीत सुनते हैं रमेश शास्त्री का लिखा हुआ और लता
का गाया हुआ.
गीत के बोल:
हवा में उड़ता जाये
मोरा लाल दुपट्टा मलमल का हो जी हो जी
इधर-उधर लहराये
मोरा लाल दुपट्टा मलमल का हो जी हो जी
हो ओ ओ ओ ओ ओ
सर सर सर सर हवा चले
हाय जियरा डगमग डोले
जियरा डगमग डोले
ओ सर सर सर सर हवा चले
हाय जियरा डगमग डोले
जियरा डगमग डोले
फर फर फर फर उड़े चुनरिया
घूँघट मोरा खोले
हाय घूँघट मोरा खोले
हवा में उड़ता जाये
मोरा लाल दुपट्टा मलमल का हो जी हो जी
इधर-उधर लहराये
मोरा लाल दुपट्टा मलमल का हो जी हो जी
झर झर झर झर झरना बहता
ठण्डा ठण्डा पानी
ठण्डा ठण्डा पानी
झर झर झर झर झरना बहता
ठण्डा ठण्डा पानी
ठण्डा ठण्डा पानी
घूँघरू बाजे छुनक छुन्नक छुन्नक
चाल हुई मस्तानी
हाय चाल हुई मस्तानी
हवा में उड़ता जाये
मोरा लाल दुपट्टा मलमल का हो जी हो जी
इधर-उधर लहराये
मोरा लाल दुपट्टा मलमल का हो जी हो जी
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Hawa mein udta jaaye-Barsaat 1949
Artist: Bimla Kumari