हम थे वो थी और समा-चलती का नाम गाड़ी १९५८
इसमें तरबूज की तरावट और मिठास है. गीत मजरूह सुल्तानपुरी
का लिखा हुआ है और इसे किशोर कुमार ने गाया है. गीत में
एक आवाज़ और भी है जो शायद अनूप कुमार की है.
प्रेरित गीतों के बार में पहले आम जनता को ज्यादा कुछ मालूम
नहीं होता था. आज ढेर सारे स्त्रोत हैं जानकारी के. काफी सारे
हिंदी गानों के उद्गम की जानकारी उपलब्ध है इन्टरनेट पर. किसी
गीत को जिसे आप ३०-४० सालों से सुन रहे हों उसके बारे में
आपको कुछ कॉपी या प्रेरणा सम्बन्धी जानकारी मिले तो क्या
आप उसका आनंद उठाना बन कर देंगे, नहीं. हम तो ओरिजनल
का भी आनंद उठाना शुरू कर देंगे, भाषा समझ आये या ना आये.
गीत के बोल:
हम थे वो थी वो थी हम थे
हम थे वो थी और समा रंगीन समझ गए ना
जाते थे जापान पहुँच गए चीन समझ गए ना
याने याने याने प्यार हो गया
हम थे वो थी और समा रंगीन समझ गए ना
जाते थे जापान पहुँच गए चीन समझ गए ना
याने याने याने प्यार हो गया
खोया मैं कैसे उसकी बातों में
कहता हूँ दम तो लेने दो आ हा हा
खोई वो कैसे मेरी बातों में
कहता हूँ दम तो लेने दो आ हा हा
क्या क्या कह डाला आँखों आँखों में
कहता हूँ दम तो लेने दो आ हा हा
हम थे वो थी और समा रंगीन समझ गए ना
जाते थे जापान पहुँच गए चीन समझ गए ना
याने याने याने प्यार हो गया
ओ मन्नू तेरा हुआ अब मेरा क्या होगा
मन्नू तेरा हुआ अब मेरा क्या होगा
फूटे बुलबुले दो नैना फड़के
उसने जब देखा मुड़-मुड़ के वाह वाह वाह
जैसे कहती हो सुन रे ओ लड़के
मैंने जब देखा मुड़-मुड़ के वाह वाह वाह
फिर दोनों के दिल धक धक धक धड़के
दोनों ने देखा मुड़-मुड़ के वाह वाह वाह
हा हा हा हा हा हा हा हा
हम थे वो थी और समा रंगीन समझ गए ना
जाते थे जापान पहुँच गए चीन समझ गए ना
याने याने याने प्यार हो गया
ओ मन्नू तेरा हुआ अब मेरा क्या होगा
मन्नू तेरा हुआ अब मेरा क्या होगा
थोड़ा-थोड़ा सांस लम्बा लम्बा सांस
धीरे धीरे उसने खैंचा आ हा हा
फिर उसका पल्लू बन के उसका दास
धीरे धीरे मैंने खैंचा आ हा हा
घबराहट में फिर अपना अपना हाथ
उसने खैंचा मैंने खैंचा आ हा हा
हम थे वो थी और समा रंगीन समझ गए ना
जाते थे जापान पहुँच गए चीन समझ गए ना
याने याने याने प्यार हो गया
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Ham the wo thi aur sama-Chalti ka naam gaadi 1958
Artists: Kishore Kumar, Anoop Kumar