जिन्दगी के सफ़र में-आप की कसम १९७४
है. ये बात आज भी प्रासंगिक है. मोबाइल कान में लगा कर
अर्ध-मूर्छित से सड़क पर चलते हुए लोगों पर तो एकदम सटीक
बैठती है ये बात.
आनंद बक्षी के जीवन के फलसफ़े पर लिखे हुए सबसे बेहतरीन
गीतों में से एक है फिल्म आप की कसम में जिसे किशोर कुमार
ने गाया है. राजेश खन्ना पर इसे फिल्माया गया है. गीत में नायक
के जीवन का एक बड़ा हिस्सा गुज़र जाता है. गीत में रेलगाड़ी भी
दिखलाई देती है और कुछ वाचाल संगीत प्रेमी इसे रेलगाड़ी हिट
भी कहा करते हैं.
गीत के बोल:
जिन्दगी के सफ़र में गुजर जाते हैं जो मकाम
वो फिर नहीं आते वो फिर नहीं आते
फूल खिलते हैं लोग मिलते हैं मगर
पतझड में जो फूल मुरझा जाते हैं
वो बहारों के आने से खिलते नहीं
कुछ लोग एक रोज जो बिछड़ जाते हैं
वो हजारों के आने से मिलते नहीं
उम्रभर चाहे कोई पुकारा करे उनका नाम
वो फिर नहीं आते वो फिर नहीं आते
आँख धोखा है क्या भरोसा है सुनो
दोस्तों शक दोस्ती का दुश्मन है
अपने दिल में इसे घर बनाने ना दो
कल तड़पना पड़े याद में जिनकी
रोक लो रुठ कर उनको जाने ना दो
बाद में प्यार के चाहे भेजो हजारो सलाम
वो फिर नहीं आते वो फिर नहीं आते
सुबह आती है रात जाती है यूँ ही
वक्त चलता ही रहता है रुकता नहीं
एक पल में ये आगे निकल जाता है
आदमी ठीक से देख पाता नहीं
और परदे पे मंजर बदल जाता है
एक बार चले जाते हैं जो दिन रात सुबह शाम
वो फिर नहीं आते वो फिर नहीं आते
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Zingagi ke safar mein-Aap ki kasam 1974
Artists: Rajesh Khanna