Mar 20, 2017

देखा एक ख्वाब तो-सिलसिला १९८१

सन १९८१ की फिल्म सिलसिला व्यावसायिक दृष्टि से बहुत
सफल नहीं रही मगर इसके गीत खूब बजे और आज भी
बज रहे हैं. इस फिल्म के लिए पहली बार दो शास्त्रीय संगीत
के महारथियों-शिव कुमार शर्मा संतूर और हरिप्रसाद चौरसिया
की जोड़ी संगीतकार बनी. फिल्म प्रेम त्रिकोण पर आधारित
है जो कि यश चोपड़ा का पसंदीदा विषय रहा है.

कहा जाता है फिल्म महानायक के जीवन की कहानी से काफी
मिलती जुलती है. फ़िल्मी पत्रिकाओं और रिसालों में जो कुछ
छपा करता था उससे अनुमान ही लगाया जा सकता है. फिल्म
अपने खूबसूरत फिल्मांकन और रेखा की ड्रेसेज के लिए भी जानी
जाती है. फिल्म के एक गीत में रेखा ने ३३ अलग अलग ड्रेस
पहनी थीं.

प्रस्तुत गीत विलायत में फिल्माया गया है. सुन्दर फूलों के खेत
हैं जो आपने कई फिल्मों में देखे होंगे. हमारे देश में शायद तब
तक ऐसे खेत नहीं हुआ करते थे. वैसे भी दूर के ढोल कुछ ज्यादा
सुहावने लगते हैं. संदरता की कोई कमी नहीं है हमारे देश के
पर्यावरण में भी, मगर, बॉलीवुड के निर्माताओं की अलग दिखाने
की चाह हमें विदेश की लोकेशंस की मुफ़टी सैर करवा देती है.

सुनते हैं फिलम से लोकप्रिय युगल गीत किशोर और लता का
गाया हुआ जिसे लिखा है जावेद अख्तर ने.





गीत के बोल:

देखा एक ख्वाब तो यह सिलसिले हुए
दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए
देखा एक ख्वाब तो यह सिलसिले हुए
दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए
ये गिला है आपकी निगाहों से
फूल भी हो दरमियाँ तो फासले हुए
देखा एक ख्वाब तो यह सिलसिले हुए
दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए

मेरी साँसों में बसी खुशबू तेरी
यह तेरे प्यार कि है जादूगरी
तेरी आवाज़ है हवाओं में
प्यार का रंग है फिज़ाओं में
धडकनों में तेरे गीत हैं मिले हुए
क्या कहूँ के शर्म से हैं लब सिले हुए

देखा एक ख्वाब तो यह सिलसिले हुए
फूल भी हो दरमियाँ तो फासले हुए

मेरा दिल है तेरी पनाहों में
आ छुपा लूं तुझे मैं बाहों में
तेरी तस्वीर है निगाहों में
दूर तक रौशनी है राहों में
कल अगर न रौशनी के क़ाफिले हुए
प्यार के हज़ार दीप हैं जले हुए

देखा एक ख्वाब तो यह सिलसिले हुए
दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए
ये गिला है आपकी निगाहों से
फूल भी हो दरमियाँ तो फासले हुए
देखा एक ख्वाब तो यह सिलसिले हुए
दूर तक निगाह में हैं गुल खिले हुए
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Dekha ek khwab to-Silsila 1981

Artists: Amitabh Bachchan, Rekha

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