Mar 12, 2017

होली खेलत नन्दलाल-गोदान १९६३

होली के शुभ अवसर पर सुनते हैं सन १९६३ की फिल्म गोदान
से एक मधुर गीत जिसे अनजान ने लिखा और जिसकी धुन
तैयार की पंडित रविशंकर ने. रफ़ी ने इसे गाया है.

ब्रज की होली प्रसिद्ध है. इसका अपना अलग ही रंग है. यहाँ
होली की परंपरा सदियों से चली आ रही है. होली के दिन कृष्ण
मंदिरों में विशेष धूम होती है. बांके बिहारी भी इस दिन होली
खेलते हैं और भक्त भी उन्हें रंग गुलाल अर्पित कर त्यौहार का
आनंद लेते हैं.




गीत के बोल:

जोगीरा ता रा रा रा
जोगीरा ता रा रा रा
जोगीरा ता रा रा रा
जोगीरा ता रा रा रा
ता रा रा रा ता रा रा रा

होली खेलत नन्दलाल
बिरज में होली खेलत नन्दलाल
ग्वाल बाल संग रास रचाए
ग्वाल बाल संग रास रचाए
नटखट नन्द गोपाल
बिरज में होली खेलत नन्दलाल
होली खेलत नन्दलाल

बाजत ढोलक  झांज  मंजीरा
बाजत ढोलक  झांज  मंजीरा
गावत सब मिल आज कबीरा
गावत सब मिल आज कबीरा
नाचत दे दे ताल
बिरज में होली खेलत नन्दलाल
बिरज में होली खेलत नन्दलाल

भर भर मारे रंग पिचकारी
भर भर मारे रंग पिचकारी
रंग गए बृज के नर नारी
रंग गए बृज के नर नारी
उड़त अबीर गुलाल
बिरज में होली खेलत नन्दलाल
बिरज में होली खेलत नन्दलाल

ऐसी होली खेली कन्हाई
ऐसी होली खेली कन्हाई
जमुना तट पर धूम मचाई
जमुना तट पर धूम मचाई
रास रचें नन्दलाल
बिरज में होली खेलत नन्दलाल
बिरज में होली खेलत नन्दलाल
…………………………………………..
Holi khelat Nandlal Godaan-1963

Artist: Mehmood

1 comments:

नितीश जोगी,  March 2, 2018 at 10:26 PM  

होली की शुभकामनाएं आप सभी को.

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