उस मोड़ से शुरू करें-गज़ल १९८२
वर्त्तमान से ज्यादा हसीं और लुभावना लगता है. कुछ
रूटीन गज़लों से अलग है ये सुदर्शन फाकिर की लिखी
हुई गज़ल जिसे जगजीत सिंह संग चित्रा सिंह गा रहे
हैं.
गज़ल के बोल:
उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िन्दगी
उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िन्दगी
हर शय जहाँ हसीन थी हम तुम थे अजनबी
उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िन्दगी
लेकर चले थे हम जिन्हें जन्नत के ख़्वाब थे
फूलों के ख़्वाब थे वो मुहब्बत के ख़्वाब थे
लेकिन कहाँ है इनमें वो पहली सी दिलकशी
उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िन्दगी
रहते थे हम हसीन ख़यालों की भीड़ में
उलझे हुए हैं आज सवालों की भीड़ में
आने लगी है याद वो फुरसत की हर घड़ी
उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िन्दगी
हर शय जहाँ हसीन थी हम तुम थे अजनबी
उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िन्दगी
शायद ये वक़्त हमसे कोई चाल चल गया
रिश्ता वफ़ा का और ही रंगो में ढल गया
अश्कों की चाँदनी से थी बेहतर वो धूप ही
उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िन्दगी
हर शय जहाँ हसीन थी हम तुम थे अजनबी
उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िन्दगी
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Us mod se shuru Karen-Ghazal Jagjit Singh
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